रामलीला में श्रीराम का वनवास देख भर आई श्रद्धालुओं की आंखे

डुमरांव के छठिया पोखरा के पास आयोजित रामलीला के चौथे दिन प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक पर चर्चा से लेकर उनके वन गमन तक का मंचन किया गया। अंत में प्रभु श्रीराम, माता जानकी व लक्ष्मण के वन जाने के दृश्य को देख श्रद्धालुओं की आंखे भर आई।

रामलीला में श्रीराम का वनवास देख भर आई श्रद्धालुओं की आंखे

केटी न्यूज/डुमरांव 

डुमरांव के छठिया पोखरा के पास आयोजित रामलीला के चौथे दिन प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक पर चर्चा से लेकर उनके वन गमन तक का मंचन किया गया। अंत में प्रभु श्रीराम, माता जानकी व लक्ष्मण के वन जाने के दृश्य को देख श्रद्धालुओं की आंखे भर आई। बता दें कि काशी के श्री रामायण प्रचायक मंडल के तत्वावधान में डुमरांव में नौ दिवसीय भव्य रामलीला महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।

व्यास पं. मिथिलेश व्यासजी व संचालक पं. कौशल कुमार ने बताया कि आज के रामलीला की शुरूआत राजा दशरथ के दरबार से हुई। राजा दशरथ के दरबार में भगवान राम के राज्याभिषेक पर चर्चा हुई। अयोध्यावासियों और मंत्रियों की सलाह से राम को राजा बनाने का निर्णय लिया गया। राजा दशरथ राम के राज्याभिषेक की आज्ञा लेने गुरु वशिष्ठ के पास गये। वशिष्ठ की आज्ञा मिलने के बाद अयोध्यावासी खुशी मनाने में जुट गये। राम को राजा बनाने की जानकारी दासी मंथरा को मिली तो वह रानी कैकई के पास पहुंची। मंथरा ने रानी कैकई की मति भ्रष्ट करते हुए राम को वनवास और भरत को राजा बनाने की सलाह दी तथा रानी कैकई को राजा दशरथ द्वारा दिए गए तीन वरदानों की याद दिलाई और कहा कि यही उचित समय है उन वरदानों को मांगने का। 

मंथरा की सलाह से कैकई कोप भवन में चली गई। राजा दशरथ ने कैकई के पास जाकर दुख का कारण पूछा। कैकई ने दुख का कारण बताने के पहले राजा दशरथ से दिए गये वरदान को पूरा करने का वचन लिया। इसके बाद कैकई ने राम को 14 साल का वनवास और भरत को राजा बनाने की बात कही। वचन सुनकर राजा दशरथ ने कैकई को समझाने का प्रयास किया, लेकिन कैकई नहीं मानी। इसके बाद राम का स्मरण करते हुए राजा दशरथ विलाप करने लगे। राम ने पिता दशरथ के दुखी होने का कारण पूछा। 

जब श्रीराम को पता चलता है कि माता कैकेई ने भरत के लिए राज्याभिषेक और उनके लिए 14 वर्ष का वनवास मांगी है तो वह सहर्ष तैयार हो जाते हैं। इसके बाद श्रीराम, माता सीता व लक्ष्मण सन्यासी की वेशभूषा में राजा दशरथ एवं तीनों रानियों से आज्ञा लेकर वन के लिए प्रस्थान करते हैं। इस दौरान श्रद्धालु रोने लगते है। मौके पर विधान राय, सोनू राय, सुनील तिवारी, राजू राय सहित अन्य मौजूद थे।