घूंघट की ओट से वोट की चोट: आधी आबादी ने लिखा लोकतंत्र की नई कहानी

लोकतंत्र के महापर्व में इस बार बक्सर जिले की आधी आबादी ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई। घूंघट की ओट से वोट पर चोट कर महिलाओं ने यह साबित कर दिया कि अब वे सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि लोकतंत्र की निर्णायक शक्ति बन चुकी हैं। जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों बक्सर, डुमरांव, ब्रह्मपुर और राजपुर, में महिलाओं की उत्साहजनक भागीदारी ने प्रशासन से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में नई चर्चा छेड़ दी है।

घूंघट की ओट से वोट की चोट: आधी आबादी ने लिखा लोकतंत्र की नई कहानी

रजनीकांत दूबे/बक्सर

लोकतंत्र के महापर्व में इस बार बक्सर जिले की आधी आबादी ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई। घूंघट की ओट से वोट पर चोट कर महिलाओं ने यह साबित कर दिया कि अब वे सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि लोकतंत्र की निर्णायक शक्ति बन चुकी हैं। जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों बक्सर, डुमरांव, ब्रह्मपुर और राजपुर, में महिलाओं की उत्साहजनक भागीदारी ने प्रशासन से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में नई चर्चा छेड़ दी है।

चुनाव के दिन सुबह से ही मतदान केन्द्रों पर महिलाओं की लंबी कतारें दिखाई दीं। गांव से लेकर शहर तक, महिलाएं अपने घरों की चौखट लांघ कर लोकतंत्र की रक्षा में अपनी अहम भूमिका निभाने निकलीं। डुमरांव विधानसभा के मध्य विद्यालय पुराना भोजपुर स्थित मतदान केन्द्र संख्या 10 से 15 तक दोपहर तक केवल महिलाओं की कतार ही देखने को मिली। इसी तरह हरियाणा फार्म स्थित बूथ संख्या 38 से 41 तक भी महिला मतदाताओं का जोश देखने लायक था।

ग्रामीण इलाकों में भी महिलाओं की यह सक्रियता किसी सामाजिक परिवर्तन से कम नहीं थी। कई स्थानों पर बुजुर्ग महिलाओं ने पहली बार मतदान किया, वहीं युवा मतदात्री समूहों ने एक-दूसरे को प्रेरित कर मतदान केन्द्र तक पहुंचाया। यह नजारा इस बात का प्रतीक था कि बक्सर की धरती पर लोकतंत्र की जड़ें कितनी गहरी हो चुकी हैं।

महिलाओं की इस अभूतपूर्व भागीदारी के पीछे जिला प्रशासन का लगातार चलाया गया स्वीप अभियान भी बड़ी वजह रहा। चुनाव पूर्व महीनों तक चलाए गए मतदाता जागरूकता कार्यक्रमों, नुक्कड़ नाटकों और रैलियों ने असर दिखाया। प्रशासन ने महिला मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया, जिसका परिणाम आज बूथों पर स्पष्ट नजर आया।

जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भी माना कि महिलाओं की भागीदारी से मतदान प्रतिशत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। प्रशासन के अनुसार, इस बार महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के बराबर ही नहीं, बल्कि कई बूथों पर उनसे अधिक दर्ज की गई है।राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस बार के चुनाव परिणाम की दिशा तय करने में महिलाओं की भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है। ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों की महिलाओं ने जिस उत्साह से मतदान किया, वह भविष्य में राजनीति के समीकरण भी बदल सकता है।

सच कहा जाए तो बक्सर की महिलाओं ने इस चुनाव में यह संदेश दे दिया कि लोकतंत्र तभी मजबूत होगा, जब आधी आबादी खुलकर अपने मताधिकार का प्रयोग करे। घूंघट की ओट से निकली इन महिलाओं ने न केवल वोट डाला, बल्कि समाज को एक मजबूत संदेश भी दिया कि “हम भी हैं लोकतंत्र की सच्ची रखवाली।”