सुहाग की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ की तैयारियों में जुटी सुहागिन
- श्रृंगार सामग्री, मेहंदी और ज्वेलरी दुकानों पर हो रही जमकर खरीदारी
केटी न्यूज/डुमरांव
अखंड सुहाग के लिए सुहागिन महिलाएं कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत करती है। इस बार एक नवंबर बुधवार को करवा चौथ का पर्व मनाया जएगा। पति की लंबी उम्र एवं उन्नत गृहस्थ जीवन के लिए इस पर्व पर सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी। सुहागिन महिलाएं यह व्रत अपने पति के प्रति समर्पित होकर उनके उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु तथा जन्म-जन्मांतर तक पुनः पति रूप में प्राप्त करने के लिए मंगल कामना करती है। उस दिन महिलाएं दुल्हन की तरह सज-धजकर चलनी के सहारे चांद का दीदार करेंगी। इस पर्व को लेकर महिलाएं उत्साहित है। करवा चौथ को लेकर बाजार भी सज-धजकर तैयार है। महिलाएं मंडी में पहुंच कर चलनी, श्रृंगार सामग्री, मेहंदी और ज्वेलरी के दुकानों पर खरीदारी की। वहीं महिलाओं की भीड़-भाड़ से बाजार पर गुलजार बना रहा। ब्यूटी पार्लर में भी महिलाओं की भीड़ बनी रही। पार्लर संचालक गुड़िया रानी ने बताया कि करवा चौथ को लेकर ग्राहकों के लिए कई ऑफर और छूट भी दी जा रही है। कई महिलाओं ने फेसिअल और मेकअप के लिए पहले से ही बुकिंग कराया है। सबसे ज्यादा मेहंदी लगाने के आर्डर मिल रहे है। मेहंदी लगाने के लिए अलग से तीन लड़कियों को रखा गया है ताकि समय से सबका काम हो सकें। स्टेशन रोड की रहने वाली शिवानी और साफाखाना रोड की रहने वाली प्रियंका ने बताया कि दुल्हन की तरह सजने का यह दूसरा मौका है। इसको लेकर हमसब काफी उत्साहित है। करवा चौथ जिंदगी के लिए यादगार पल होता है। इस पर्व में केवल एक दिन शेष रह गया है। मंडी के व्यवसायी विजय साह करीमन, मनीष, राजकुमार, आदित्य कहते है कि इस बार श्रृंगार सामग्री के साथ-साथ जड़ी और गोटे लगे चलनी की मांग बढ़ी है।
आजीवन बंधने का भी नाम है करवा
हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि संकष्ट चतुर्थी तथा शुक्लपक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी मानी गयी है। यह दिन बुद्धि, विवेक और ज्ञान के देवता भगवान गणेश के लिए निर्धारित है। जीवन में चारों दिशाओं में यश के लिए बुद्धि-विवेक और ज्ञान की जरूरत होती है। इससे तमाम समस्याओं से पार पाया जा सकता है। इस दिन करवा से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। करवा मिट्टी का टोटीदार लोटा होता है. करवा का अर्थ बंधने से भी है। जहाज में कोनिया लगता है, उसे भी करवा कहते हैं। इस प्रकार करवा जिंदगी के जहाज में आजीवन बंधने से ही होता है।
मिलता है सुखी दांपत्य का दृष्टिकोण
विवाहिता स्त्री मायके से अपना जड़ छोड़कर आती है। वह पति को केवल रूप-रंग या रुपये-पैसे से नहीं, बल्कि स्वभाव, कार्य, रुचि, जीवनशैली, ज्ञान आदि उसके विविध रूपों को देखे तथा सामंजस्य बैठाये, क्योंकि उसे ही नयी जमीन पर जमना है। चलनी के विविध छिद्र से देखने का आशय भी यह है कि जैसे आटे या इसी तरह के अन्य पदार्थों को चालकर चोकर, भूसी अलग की जाती है, वही दृष्टि पत्नी की होनी चाहिए। विवाद की जगह समाधान निकालने की तारीफ हमेशा होती है।
शिव-पार्वती के साथ गणेश-चंद्र की होगी पूजा
व्रती महिलाएं सोलह शृंगार कर सायंकाल में भगवान भोलेनाथ, गणेश, माता पार्वती, कार्तिकेय एवं चन्द्रमा की पूजा करने के बाद चंद्रमा को चलनी से देखती है और उन्हें अर्घ देती है। करवा चौथ के दिन व्रती महिलाएं दिनभर व्रत रखेंगी और नए वस्त्र-श्रृंगार करके पूजन करके रात में चांद को चलनी से दीप के साथ देखेंगी। पति को देखते हुए चांद को अर्घ्य प्रदान करेंगी। अर्घ्य में दूध, शहद, मिश्री और नारियल प्रदान किया जायेगा। व्रती महिलाएं चलनी से चंद्र दर्शन के बाद अपने पति को उसी चलनी से देखती है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार चलनी से पति को देखने से पत्नी के व्यवहार और विचार दोनों छन कर शुद्ध हो जाते हैं।
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रदोष काल - संध्या 05.33 बजे, से 07.03 बजे तक।
चंद्रोदय अर्घ्य- रात्रि 08.00 बजे।