आज लिट्टी चोखा खाकर संपन्न होगा पांच दिवसीय पंचकोशी मेला, तैयारी पूरी
अनोखी मान्यता व त्रेतायुग से चली आ रही परंपरा पंचकोशी मेले का समापन रविवार को चरित्रवन बक्सर में होगा। इस मौके पर बक्सर सहित जिले के सभी घरों में लिट्टी चोखा का प्रसाद ग्रहण किया जाएगा।
केटी न्यूज/बक्सर
अनोखी मान्यता व त्रेतायुग से चली आ रही परंपरा पंचकोशी मेले का समापन रविवार को चरित्रवन बक्सर में होगा। इस मौके पर बक्सर सहित जिले के सभी घरों में लिट्टी चोखा का प्रसाद ग्रहण किया जाएगा। पूर्व संध्या से ही जिले के सभी घरों में इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है।
इसके पहले पंचकोशी परिक्रमा का चौथा पड़ाव शनिवार को उद्यालक ऋषि के आश्रम नुआंव में था, जहां श्रद्धालुओं ने अंजनी सरोवर में स्नान व पूजा अर्चना के बाद सत्तू व मूली का प्रसाद ग्रहण किया। मान्यता है कि उद्यालक ऋषि के आश्रम की परिक्रमा व रात्रि विश्राम से दरिद्रता समाप्त हो जाती है। पंचकोशी परिक्रमा में शामिल सैकड़ो श्रद्धालुओं ने अंजनी सरोवर की परिक्रमा, सत्तू-मूली का प्रसाद खा व रात्रि विश्राम कर अपने जीवन में दरिद्रता नहीं आने की मन्नत मांगी।
उद्दालक आश्रम के समीप अपनी माता अंजनी के साथ रहते थे वीर हनुमान
पौराणिक कथाओं की मानें तो प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त वीर हनुमान का ननिहाल उद्यालक ऋषि के आश्रम के पास ही था। जहां, बचपन में वे अपनी मां अंजनी के साथ रहते थे। चौथे दिन के पड़ाव के दौरान इसकी कथा सुनाते हुए सुदर्शनाचार्य उर्फ़ भोला बाबा ने कहा कि नुआंव स्थित उद्दालक आश्रम के समीप राम भक्त हनुमान की माता अंजनी अपने पुत्र के साथ रहती थीं। अंजनी के निवास के चलते ही यहां का मौजूद सरोवर अंजनी सरोवर के नाम से विख्यात हो गया। यहां एक मंदिर का निर्माण कराया गया है, जिसमें माता अंजनी के साथ हनुमान जी विराजमान हैं। इसकी चर्चा साकेत वासी पूज्य संत श्री नारायण दास जी भक्तमाली मामाजी द्वारा रचित पुस्तक में भी की गई है।
अनोखी परंपरा, पूरे जिले में बनेगा एक ही भोजन
पंचकोशी परिक्रमा के पांचवे दिन की परंपरा काफी अनोखी है। इस दिन जहां पंचकोशी परिक्रमा में शामिल श्रद्धालु चरित्रवन पहुंच गंगा स्नान व लक्ष्मीनारायण भगवान के दर्शन-पूजन के बाद लिट्टी-चोखा का प्रसाद ग्रहण कर स्टेशन रोड स्थित बसांव मठिया के पास विश्राम कुंड पर रात गुजारने के साथ परिक्रमा का समापन करेंगे। वही दूसरी तरफ इस दिन जिले के सभी घरों में लिट्टी चोखा ही बनता है। बक्सरवासी इस दिन अपने घरों में भी लिट्टी चोखा खाकर इस परंपरा का निवर्हन करते है। मान्यता है कि अंतिम दिन लिट्टी चोखा खाने मात्र से ही पंचकोशी का फल मिल जाता है। पंचकोशी को ले शनिवार की शाम से ही श्रद्धालु बक्सर पहंुचने लगे है। इस दौरान श्रद्धालु अपने नाते रिश्तेदारों के यहां शरण ले रहे है। कई लोग तो होटल में कमरा बुक कराए है। वे रविवार को लिट्टी चोखा का प्रसाद ग्रहण कर अपने घर लौटेंगे। चौथे दिन परिक्रमा के दौरान सुदर्शनाचार्य जी महाराज उर्फ़ भोला बाबा, रोहतास गोयल, डॉ रामनाथ ओझा, सूबेदार पांडेय समेत सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु शामिल रहे।