अजय राय के नेतृत्व में युवाओं ने घर-घर पहुंचकर असहाय दिव्यांगों को ओढ़ाया कंबल
विश्व दिव्यांग दिवस के मौके पर डुमरांव में मानवता की मिसाल उस वक्त देखने को मिली जब स्वच्छता अभियान के ब्रांड एम्बेसडर अजय राय की अगुवाई में युवाओं का समूह बढ़ती सर्दी से जूझ रहे लवारिस और असहाय दिव्यांगजनों के घर-घर पहुंचा। टीम ने उन्हें कम्बल ओढ़ाकर न केवल गर्माहट दी, बल्कि सामाजिक संवेदना का अनोखा संदेश भी दिया।
-- विश्व दिव्यांग दिवस पर किया गया कंबल का वितरण
केटी न्यूज़/डुमरांव
विश्व दिव्यांग दिवस के मौके पर डुमरांव में मानवता की मिसाल उस वक्त देखने को मिली जब स्वच्छता अभियान के ब्रांड एम्बेसडर अजय राय की अगुवाई में युवाओं का समूह बढ़ती सर्दी से जूझ रहे लवारिस और असहाय दिव्यांगजनों के घर-घर पहुंचा। टीम ने उन्हें कम्बल ओढ़ाकर न केवल गर्माहट दी, बल्कि सामाजिक संवेदना का अनोखा संदेश भी दिया।

कम्बल पाते ही दिव्यांगजनों के चेहरों पर जो मुस्कान खिली, वह इस पहल की सफलता खुद बयान करती दिखी। दिसंबर की शुरुआती ठंड ने ही कहर बरपाना शुरू कर दिया है, ऐसे में गरीब, बेसहारा और निशक्त व्यक्तियों के सामने मुश्किलें बढ़ रही हैं। इस परिस्थिति को समझते हुए अजय राय और उनकी युवा टीम लगातार कम्बल वितरण कर रही है।

अजय राय ने बताया कि उनकी कोशिश है कि इलाके का कोई भी जरूरतमंद ठंड की चपेट में न आए। उन्होंने कहा कि ठंड का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में हमारा दायित्व बनता है कि हम गरीब और असहाय दिव्यांग भाइयों-बहनों की मदद करें। हमारी टीम दिन-रात क्षेत्र में घूमकर ऐसे लोगों को चिन्हित कर रही है जिन्हें सबसे अधिक सहायता की आवश्यकता है।

अजय राय की यह मानवीय मुहिम सोशल मीडिया से लेकर स्थानीय गलियों तक चर्चा का विषय बन गई है। लोग उनकी सोच और समर्पण की जमकर सराहना कर रहे हैं। बताया जाता है कि यह पहली बार नहीं है जब अजय इस तरह का अभियान चला रहे हों। इससे पहले भी वे रेलवे स्टेशन, फुटपाथ और विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर रहने वाले लाचार, वृद्ध और दिव्यांग जरूरतमंदों को कम्बल बांट चुके हैं।

इस नेक कार्य में वरिष्ठ समाजसेवी पवन केशरी उर्फ़ बुली जी, अभिषेक रंजन, राहुल सूर्यवंशी और शुभम राय सहित कई युवा प्रमुख भूमिका में रहे। युवाओं की यह टोली जहां-जहां पहुंची, वहां उम्मीद की एक नई रोशनी जगाती चली गई। अजय राय की यह पहल साबित करती है कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए न बड़ी शक्ति की जरूरत है, न बड़े मंच की, बस एक संवेदनशील हृदय और सेवा की भावना काफी है।
