जांच के फेर में फंसा तथाकथित शिक्षा मॉफियाओं पर कार्रवाई
बक्सर के शिक्षा विभाग में सक्रिय तथाकथित मॉफियाओं अजय सिंह तथा अरविंद सिंह पर आखिर कबतक कार्रवाई की गाज गिरेगी। यह विभागीय अधिकारियों तथा उनसे त्रस्त शिक्षकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि, अभी तक जांच पूरी नहीं होने पर ही उनपर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। दो दिन पहले जिलाधिकारी ने भी जांच अधिकारियों को जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया है। अब देखना है

-- जिलाधिकारी के निर्देश पर तीन एडीएम तथा एसडीएम-एसडीपीओ अलग-अलग शिकायतों की कर रहे है जांच
केटी न्यूज/बक्सर
बक्सर के शिक्षा विभाग में सक्रिय तथाकथित मॉफियाओं अजय सिंह तथा अरविंद सिंह पर आखिर कबतक कार्रवाई की गाज गिरेगी। यह विभागीय अधिकारियों तथा उनसे त्रस्त शिक्षकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि, अभी तक जांच पूरी नहीं होने पर ही उनपर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। दो दिन पहले जिलाधिकारी ने भी जांच अधिकारियों को जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया है। अब देखना है
कि जिलाधिकारी के निर्देश के बाद इसमें कितना तेजी आ रहा है। बता दें कि हाउस कीपिंग एजेंसियों के चयन के अलावे अजय सिंह तथा अरविंद सिंह पर लगे तत्कालीन स्थापना डीपीओ के कार्यालय में तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी के सामने मारपीट, बदसलूकी आदि के अलावे बेंच डेस्क घोटाला, थाली, बोरिंग आदि में अनियमितता, भयादोहन तथा ब्लैकमेलिंग आदि की जांच की जा रही है। यह भी दिलचस्प है कि हाउस कीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया के चयन पर शिक्षा विभाग के तीन डीपीओ के संयुक्त जांच रिपोर्ट पर बक्सर सांसद सुधाकर सिंह ने आपत्ति जताई थी।
जिसके बाद जिलाधिकारी ने जून महीने में ही अपर समाहर्ता रैंक के तीन अधिकारियों को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा था तथा एक सप्ताह में जांच पूरी कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था, बावजूद अभी तक इस मामले में जांच पूरी नहीं हो सकी है। इस मामले में दिलचस्प पहलू यह है कि जिलाधिकारी द्वारा चयनित जांच टीम के अगुआ तथा अपर समाहर्ता विभागीय जांच गिरिजेश कुमार ने बक्सर डीईओ से ही तीन बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगा है। इनमें बक्सर जिले में कार्यरत हाउस कीपिंग एजेंसियों की प्रखंडवार सूची, सभी एजेंसियों का एकरारनामा पत्र तथा हाउस कीपिंग से संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी का प्रतिवेदन मूल संचिका के साथ उपलब्ध कराना शामिल है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि जांच टीम को अभी तक तीसरे बिंदू पर डीईओ का प्रतिवेदन नहीं मिला है, जिससे जांच रूका हुआ है।
-- कही पूर्व की घटनाओं से तो जांच में नहीं हो रहा है विलंब
बता दें कि शिक्षा विभाग में अजय व अरविंद का धौंस लंबे समय से चल रहा है। इस दौरान कई अधिकारी व कर्मियों के साथ ही शिक्षकों को भी इनका कोपभाजन बनना पड़ा है। अधिकांश मामलों में उनपर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। जबकि इनके जुल्म के शिकार काई ऐसे पीड़ित है जो अभी तक उससे उबर नहीं पाए है। बता दें कि इनलोगों द्वारा तत्कालीन स्थापना डीपीओ मो. शारिक अशरफ, शिक्षा विभाग के पूर्व लीपिक उपेन्द्र मिश्र के साथ मारपीट की गई थी।
वहीं, कठार मध्य विद्यालय की शिक्षिका संगीता सिंह तथा ब्रह्मपुर प्रखंड के कन्या मध्य विद्यालय की शिक्षिका रही सुनैना कुमारी के साथ भी अजय का विवाद हुआ था। दोनों विवाद थाना तक पहुंचा था। संगीता सिंह के मामले में तो निचली अदालत द्वारा उसे तीन वर्ष की सजा भी सुनाई गई है, जबकि शिक्षिका सुनैना के साथ मारपीट में अजय को जेल की हवा खानी पड़ी थी। माना जा रहा है कि इन घटनाओं को देखते हुए तथा विभाग में दोनों की पैठ उपर से सांसद सहयोगी का तमगा आदि कारणों से जांच अधिकारी शीघ्र रिपोर्ट देने से कतरा रहे है।
-- चिख-चिख कर गवाही दे रहे है कई सबूत
ऐसा नहीं कि तथाकथित शिक्षा विभाग के मॉफिया अजय व अरविंद के खिलाफ कोई सबू नहीं मिले हो, बल्कि कई सबूत चिख-चिख कर उनके खिलाफ गवाही दे रहे है। जिनमें हाउस कीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया का नियम विरूद्ध चयन तथा अजय सिंह द्वारा पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी अमरेन्द्र कुमार पांडेय द्वारा फर्स्ट आइडिया का पार्टनर बताने, थाली खरीद में अरविंद सिंह की साई इंटरप्राइजेज का चयन, जबकि थाली खरीद विद्यालयों के प्रधानाध्यापक व शिक्षा समिति को करना था।
यहीं नहीं कलेक्टेªट स्थित केनरा बैंक की शाखा से फर्स्ट आइडिया द्वारा अरविंद सिंह, उसकी पत्नी समेत चार खातों पर किया गया लाखों का ट्रांजेक्शन ऐसे सबूत है, जिसके सहारे जांच अधिकारियों के हाथ इनके गिरेबां तक पहुंच सकते है। बावजूद जांच रिपोर्ट में विलंब होने से अब यह कयाश लगाया जा रहा है कि पूर्व की भांति इस बार भी दोनों ने अपने पैठ तथा मैनेज के बल पर जांच को प्रभावित कर लिया है।
हालांकि, जिलाधिकारी के इस मामले में सख्त रूख अपनाने तथा जांच में तेजी लाने के निर्देश से लोगों में अभी भी इस बात की उम्मीद है कि जल्दी ही इनके आतंक से बक्सर के शिक्षा विभाग को मुक्ति मिलेगी।