मोहर्रम पर हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल, शांतिपूर्ण माहौल में निकला ताजिया जुलूस
मोहर्रम के अवसर पर रविवार को सोनवर्षा व नावानगर समेत प्रखंड क्षेत्र अन्य गांव में ताजिया जुलूस परंपरागत रूप से शांतिपूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण में निकाला गया। जुलूस में शामिल हिन्दू-मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एकता, भाईचारे और गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की।

न्यूज/नावानगर
मोहर्रम के अवसर पर रविवार को सोनवर्षा व नावानगर समेत प्रखंड क्षेत्र अन्य गांव में ताजिया जुलूस परंपरागत रूप से शांतिपूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण में निकाला गया। जुलूस में शामिल हिन्दू-मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एकता, भाईचारे और गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की।
इस अवसर पर बनाबनौठी, तलरवाजी, भाला, लाठी आदि पारंपरिक खेलों का भी शानदार प्रदर्शन किया गया, जिसे देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। काफिला कमिटी सोनवर्षा में ताजिया जुलूस की शुरुआत स्थानीय द एमिटी स्कूल के निदेशक अमरेन्द्र राजेश द्वारा फीता काटकर की। उन्होंने इस अवसर पर सभी समुदायों को मोहर्रम की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व शहादत, त्याग और आपसी सद्भाव का प्रतीक है। उन्होंने युवाओं से सामाजिक एकता और समरसता को बनाए रखने की अपील की।
वही बीडीसी अजय गुप्ता ने काफिला कमिटी के सभी सदस्यों को अंगवस्त्र से सम्मानित किया। इधर ताजिया जुलूस में आकर्षक झांकियों और ढोल-नगाड़ों के साथ बड़ी संख्या में युवा शामिल हुए। जुलूस जिस मार्ग से गुजरा, वहां स्थानीय लोगों ने पेयजल आदि की व्यवस्था कर सहभागिता निभाई। सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रशासन की ओर से चाक-चौबंद इंतजाम किए गए थे।
पुलिस बल के साथ स्थानीय स्वयंसेवक भी मुस्तैद नजर आए। जूलूस की संचालन कलामुद्दीन ने की। दूसरी ओर नावानगर के अंजूमन कमिटी के बैनर तले मुखिया प्रतिनिधि इजाजूल हक के नेतृत्व में भी शांतिपूर्ण ढंग से ताजिया जुलूस निकाला गया। आयोजन में दोनों समुदायों की भागीदारी से आपसी भाईचारे की अनोखी मिसाल देखने को मिली। मोहर्रम के इस अवसर पर पूरे क्षेत्र में शांति, सौहार्द और एकजुटता का संदेश गूंजता रहा। जूलूस की अध्यक्षता