चौसा थर्मल पावर प्लांट विवाद, स्थानीय निवासियों में गहराई नाराजगी, दी आंदोलन की चेतवावनी
चौसा थर्मल पावर प्लांट को लेकर क्षेत्र में असंतोष अब खुलकर सामने आने लगा है। प्रभावित किसान खेतिहर मजदूर मोर्चा के बैनर तले रविवार को बनारपुर पंचायत भवन में आयोजित बैठक में किसानों, मजदूरों और स्थानीय ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। नेताओं ने साफ शब्दों में कहा कि अगर एक माह के भीतर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो कंपनी के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा और संयंत्र का कार्य शांतिपूर्ण तरीके से अनिश्चितकाल के लिए बंद कराया जाएगा।
-- प्रदूषण, रोजगार और अधिकारों के सवाल पर किसान-मजदूरों ने दिया अल्टीमेटम
-- एक माह में समाधान नहीं तो अनिश्चितकालीन शांतिपूर्ण बंद की चेतावनी
केटी न्यूज/चौसा
चौसा थर्मल पावर प्लांट को लेकर क्षेत्र में असंतोष अब खुलकर सामने आने लगा है। प्रभावित किसान खेतिहर मजदूर मोर्चा के बैनर तले रविवार को बनारपुर पंचायत भवन में आयोजित बैठक में किसानों, मजदूरों और स्थानीय ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। नेताओं ने साफ शब्दों में कहा कि अगर एक माह के भीतर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो कंपनी के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा और संयंत्र का कार्य शांतिपूर्ण तरीके से अनिश्चितकाल के लिए बंद कराया जाएगा।बैठक की अध्यक्षता शिवमुरत राजभर ने की, जबकि मंच संचालन डॉ. विजय नारायण राय ने किया। कार्यक्रम में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश कुमार सिंह, बिहार राज्य दुग्ध उत्पादक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार और जिला परिषद सदस्य पूजा कुमारी बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहीं।

-- बिना एफजीडी सिस्टम चालू संयंत्र, स्वास्थ्य से खिलवाड़ का आरोप
किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि चौसा थर्मल पावर प्लांट को बिना एफजीडी (फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन) सिस्टम लगाए ही चालू कर दिया गया है। यह सिस्टम सल्फर डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए अनिवार्य है, जिसकी लागत लगभग 400 करोड़ रुपये बताई जा रही है। नेताओं ने कहा कि इस सिस्टम के अभाव में आसपास के गांवों में प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है, जिससे आम लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।

-- कोयला परिवहन और भंडारण से फैल रहा जहर
बैठक में मल्टीकार्गाे टर्मिनल से कोयले के परिवहन और भंडारण पर भी कड़ा सवाल उठाया गया। आरोप लगाया गया कि एनजीटी के नियमों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए घनी आबादी के बीच बिना अनुमति मालगाड़ियों से कोयला उतारा जा रहा है और डंफरों में लोड किया जा रहा है। इससे पूरे इलाके में धूल और प्रदूषण का जाल फैल गया है। किसानों का कहना है कि इसका सीधा असर बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं पर पड़ रहा है।
-- बीमारियों का बढ़ता खतरा, रोजगार में भेदभाव
किसान-मजदूर नेताओं ने चेतावनी दी कि प्रदूषण के कारण क्षेत्र में दमा, टीबी, आंखों और त्वचा से जुड़ी बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है। इसके साथ ही रोजगार को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए गए। कहा गया कि परियोजना से प्रभावित गांवों के स्थानीय लोगों को दरकिनार कर बाहरी लोगों को कथित रूप से घूस लेकर नौकरी दी जा रही है। यह न केवल अन्याय है बल्कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 और संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।

-- नव नियुक्त डीएम से मिलेगी शिकायत, आंदोलन की तैयारी
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इन सभी मुद्दों को नव नियुक्त जिलाधिकारी के समक्ष रखा जाएगा। यदि प्रशासन और कंपनी ने एक माह के भीतर ठोस कार्रवाई नहीं की तो प्रभावित किसान, मजदूर और ग्रामीण बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।

-- स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों की एकजुटता
बैठक में बनारपुर पंचायत की मुखिया ममता देवी, नंदलाल सिंह, रामप्रवेश सिंह, नरेंद्र तिवारी, शैलेश राय, ब्रजेश राय, अश्विनी चौबे, मुन्ना तिवारी, शिवदयाल सिंह और मेराज खान सहित बड़ी संख्या में किसान, युवक, महिला मजदूर और परियोजना से प्रभावित ग्रामीण मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि अब अपने हक और स्वास्थ्य के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।
