फाइलेरिया प्रभावित अंगों की साफ-सफाई व देखभाल जरूरी: डॉ. श्रीवास्तव

फाइलेरिया प्रभावित अंगों की साफ-सफाई व देखभाल जरूरी: डॉ. श्रीवास्तव
आशा कर्मियों और मरीजों को जानकारी देते स्वास्थ्य अधिकारी

- डुमरांव पीएचसी में एमएमडीपी क्लिनिक की हुई शुरुआत, मरीजों में किट वितरित 
- आशा कार्यकर्ताओं और मरीजों को दी गई एमएमडीपी किट के इस्तेमाल की जानकारी

बक्सर | स्वास्थ्य विभाग जिले से फाइलेरिया के पूरी तरह उन्मूलन को कटिबद्ध है। इस क्रम में जिले के सभी प्रखंडों में मार्बिडीटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रीवेंशन (एमएमडीपी) क्लिनिक की शुरुआत की जा रही है। गुरुवार को जिले के डुमरांव प्रखंड स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एमएमडीपी क्लिनिक का उद्घाटन किया गया। इस दौरान रोगियों को घाव की नियमित सफाई के तरीके भी बताए गए। मौके पर आयोजित कार्यशाला में प्रखंड अंतर्गत आशा फैसिलिटेटर्स और मरीजों को एमएमडीपी किट के इस्तेमाल की जानकारी दी गई। बताया गया कि जिनके हाथ-पैर में सूजन आ गई है या फिर उनके फाइलेरिया के हाथीपांव बीमारी से ग्रस्त अंगों से पानी का रिसाव होता है। इस स्थिति में उनके प्रभावित अंगों की सफाई बेहद आवश्यक है। इसलिए एमएमडीपी किट प्रदान की जा रही है। इस किट में एक-एक टब, मग, बाल्टी तौलिया, साबुन, एंटी फंगल क्रीम आदि शामिल हैं। मौके पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आरबी श्रीवास्तव, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार राजीव कुमार, बीएचएम अफरोज आलम, बीसीएम अक्षय कुमार, वीबीडीएस उपेंद्र पांडेय समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद रहे ।

पैर की साफ-सफाई रखने से इंफेक्शन का डर नहीं : 
इस दौरान एमओआईसी डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि फाइलेरिया यानी हाथीपांव प्रभावित अंगों की साफ-सफाई व देखभाल जरूरी है। फाइलेरिया ग्रस्त अंगों मुख्यतः पैर की साफ-सफाई रखने से इंफेक्शन का डर नहीं रहता  और सूजन में भी कमी रहती है। इसके प्रति लापरवाही बरतने पर अंग खराब होने लगते हैं। इससे समस्या बढ़ जाती है। इन्फेक्शन को बढ़ने से रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा दवा भी दी जाती है। एक बार यह बीमारी हो गई तो ठीक नहीं होती है।  उचित प्रबंधन से प्रभावित अंगों की देखभाल की जा सकती  और जीवन को सरल बनाया जा सकता है। दवा के सेवन से ही इस बीमारी से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिन व्यक्तियों में फाइलेरिया के परजीवी रहते हैं, उन्हें दवा के सेवन के बाद चक्कर आना, जी मिचलाना, उल्टी आना, हल्का बुखार आना समस्याएँ हो सकती हैं,लेकिन इससे घबराना नहीं चाहिए। वह थोड़ी देर बाद स्वत: ठीक हो जाएगा। 

दवाओं के साथ किट का इस्तेमाल भी जरूरी :
कार्यशाला में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार राजीव कुमार ने कहा कि हाथीपांव के मरीजों के लिए दवाओं के साथ किट का इस्तेमाल भी जरूरी है। उन्होंने व वीबीडीएस उपेंद्र पांडेय ने फलेरिया से प्रभावित स्थानों को साफ करने व दवा लगाने की विधि बताई। इस दौरान एमएमडीपी किट का प्रयोग करने के पूर्व मरीजों को डेमो दिखाया गया है। जिससे वे उपचार की विधि समझ सकें। हाथीपांव के मरीज उपचार के समय पहले पैर पर पानी डाल लें। उसके बाद हाथ  में साबुन लेकर उसे हलके हाथ से रगड़ें और झाग निकालें। जिसके बाद हल्के हाथ  से पैर में घुटने से लेकर उंगलियों व तलुए तक साबुन लगायें। जिसके बाद हल्के हाथ से घुटने से पानी डालकर उसे धो लें। जिसके बाद तौलिया लेकर हल्के हाथ से पोछ लें। इसके बाद पैर में जहां पर घाव हो वहां पर एंटी फंगल क्रीम लगायें।