डुमरांव बाजार की अधूरी सड़क का फिर शुरू हुआ निर्माण
डुमरांव शहर की जीवनरेखा मानी जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग-120 एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। 5.2 किलोमीटर लंबी इस सड़क की बदहाली ने न केवल यातायात व्यवस्था को प्रभावित किया है, बल्कि शहर की आर्थिक गतिविधियों पर भी ब्रेक लगा दिया है। मरम्मत कार्य को दोबारा शुरू कराने के लिए प्रशासन ने मुख्य बाजार क्षेत्र में वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे शहर की रफ्तार अचानक थम सी गई है।
-- एनएच-120 मरम्मत के नाम पर मुख्य बाजार सील, प्रशासन ने दिखाई सख्ती
केटी न्यूज/डुमरांव
डुमरांव शहर की जीवनरेखा मानी जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग-120 एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। 5.2 किलोमीटर लंबी इस सड़क की बदहाली ने न केवल यातायात व्यवस्था को प्रभावित किया है, बल्कि शहर की आर्थिक गतिविधियों पर भी ब्रेक लगा दिया है। मरम्मत कार्य को दोबारा शुरू कराने के लिए प्रशासन ने मुख्य बाजार क्षेत्र में वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे शहर की रफ्तार अचानक थम सी गई है।रविवार दोपहर नया थाना और गुरु ट्रेनिंग स्कूल के पास पत्थर लगाकर सड़क को पूरी तरह बंद कर दिया गया।

इसके बाद डुमरांव बाजार में किसी भी प्रकार के वाहन का प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया। प्रशासन का दावा है कि यह कदम मजबूरी में उठाया गया है, ताकि वर्षों से जर्जर सड़क को स्थायी रूप से दुरुस्त किया जा सके।दरअसल, इस सड़क के जीर्णाेद्धार के लिए पहले ही करीब 1.30 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी जा चुकी थी। सितंबर में काम भी शुरू हुआ, लेकिन यह प्रयास अधूरा साबित हुआ। संवेदक ने केवल शुरुआती हिस्से में काम किया और बाद में कार्य रोक दिया। नतीजा यह हुआ कि टूटी-फूटी सड़क, गड्ढे और उखड़ी सतह लोगों के लिए रोज़ का संकट बन गई। पैदल चलना तक मुश्किल हो गया और वाहन चालकों को हर दिन जोखिम उठाना पड़ा।

इस बार प्रशासन किसी भी ढिलाई के मूड में नहीं है। एसडीएम राकेश कुमार के अनुसार, मरम्मत कार्य को तय समय-सीमा में पूरा कराने के लिए सख्त निगरानी की जाएगी। भारी वाहनों को एनएच-922 के रास्ते डायवर्ट किया गया है, जबकि छोटे वाहनों के लिए शहर के अंदर वैकल्पिक मार्ग तय किए गए हैं। साफ शब्दों में कहा गया है कि बाजार क्षेत्र में वाहन घुसा तो कार्रवाई तय है।हालांकि, प्रशासनिक सख्ती के बीच आम लोग और व्यापारी असमंजस में हैं। बाजार बंद होने से कारोबार पर सीधा असर पड़ रहा है।

छोटे दुकानदारों को डर है कि लंबे समय तक यह स्थिति रही तो उनकी रोज़ी-रोटी पर संकट आ सकता है। वहीं, स्थानीय नागरिकों को यह भी चिंता सता रही है कि कहीं यह प्रयास भी पिछली बार की तरह अधूरा न रह जाए।डुमरांव की यह सड़क केवल एक मार्ग नहीं, बल्कि शहर की आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों की रीढ़ है। ऐसे में लोगों की मांग है कि इस बार काम केवल कागजों तक सीमित न रहे, बल्कि गुणवत्ता के साथ समय पर पूरा हो। अगर ऐसा हुआ, तो वर्षों से चली आ रही इस समस्या का अंत संभव है और डुमरांव फिर से अपनी पुरानी रफ्तार पकड़ सकेगा।
