मांगों को लेकर संविदा कर्मियों ने पीएचसी परिसर में किया प्रदर्शन
- फेस ऐप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने वाले फरमान के विरुद्ध मुर्दाबाद के लगाए नारे
केटी न्यूज/डुमरांव
जीएनएम और सीएचओ कर्मचारियों ने डुमरांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के मुख्य कार्यालय प्रवेश द्वार के समक्ष प्रदर्शन कर सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। बता दें कि बिहार स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में एक आदेश जारी किया, जिसमें नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत कार्यरत एएनएम, जीएनएम और सीएचओ कर्मचारीयों को फेस एप के
माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी। ऐसा नहीं करने पर कर्मचारियों की सैलरी काटी जाएगी। इसी आदेश के विरोध में संविदा पर कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों ने पीएचसी कार्यालय के समक्ष एएनएम, जीएनएम और सीएचओ कर्मचारियों ने प्रदर्शन कर सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की।
कार्य का बहिष्कार
धरना-प्रदर्शन में शामिल संविदा कर्मी के अनुसार संविदा पर बहाल जीएनएम, सीएचओ, एएनएम को एफआरएएप के द्वारा अटेंडेंस बनाने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए समान कार्य समान वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है, जो कि हम एनएचएम कर्मी के प्रति विभाग का भेदभावपूर्ण रवैया है। ऊपर से विभाग द्वारा फेशियल अटेंडेंस भी
सिर्फ एनएचएम कर्मियों को बनाने का आदेश दिया गया है। हम सभी एनएचएम कर्मी विभाग के इस भेदभावपूर्ण फैसले का विरोध करते है। इस मांग को लेकर आवश्यक कदम नहीं उठाये जाने पर आगामी कार्यदिवसों में कार्य का बहिष्कार करने की बात कही है।
ऑनलाइन कार्य का भुगतान
प्रदर्शन के पश्चात मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों ने सेंटर पर बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को आवेदन दिया। एएनएम ने बताया कि क्षेत्र में कार्य करने के दौरान उनलोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। स्वास्थ्य सेंटरों पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। बिजली, पानी, शौचालय सहित मूलभूत सुविधाओं का आभाव है। वहीं कई जगह पीएचसी या एपीएचसी बना भी नहीं है,
जिसके कारण क्षेत्र में भ्रमणशील रहना पड़ता है। 5 से 10 किलोमीटर पैदल चलकर ग्रामीण क्षेत्र के सेंटरों पर जाना पड़ता है। इस दौरान काफी समस्या भी होती है। बताया कि दूर दराज क्षेत्र रहने के चलते स्थायी ठिकाना नहीं रहने से वापस लौटने में देर भी हो जाती है। इसके अलावे समान काम समान वेतन देने, समय पर वेतन देने, ऑनलाइन कार्य का अलग से भुगतान सहित अन्य मांग भी की गई।
सरकार नहीं ले रही रुचि
पीएचसी में संविदा पर कार्यरत एनएचएम कर्मियों ने नाराजगी जताते बताया कि बिहार सरकार स्वास्थ्य कर्मियों के मांगों को पूरा करने में कोई अभिरुचि नहीं ले रही, जबकि सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा फैसला दिया गया है कि जो स्वास्थ्यकर्मी लगातार 10 वर्षों से कार्यरत हैं, उन्हे नियमित करते हुए सारी सुविधाएं नियमित कर्मचारी वाला उपलब्ध कराई जाए। इसके साथ ही सामान काम के बदले समान वेतन भी मिलनी चाहिए, लेकिन बिहार सरकार द्वारा सर्वाेच्च न्यायालय के फैसला को
नजर अंदाज कर एनएचएम कर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। इसके अलावे उक्त कर्मियों ने बताया कि दो वर्षों से एनएचएम कर्मी द्वारा स्वास्थ्य विभाग के सभी कार्यों में पूरा योगदान किया जाता है, लेकिन हेल्थ केयर लागू करके एनएचएम कर्मी का मानदेय से दूर कर दिया गया, जिससे एनएचएम कर्मियों में नाराजगी है।
पांच सूत्री मांगे
बता दें कि सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार लाने के लिए नित्य नए दिन सरकार द्वारा तरह तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। पीएचसी के साथ ही सदर और अनुमंडलीय अस्पताल में भी डॉक्टरों को बायोमैट्रिक के आधार पर ही वेतन दिया जा रहा है। इन अस्पतालों की मॉनिटरिंग खुद डीएम अंशुल अग्रवाल कर रहे हैं। प्रदर्शन में मौजूद महिला कर्मचारियों ने बताया कि उनकी पांच सूत्री मांगे हैं,
जिनमें सामान काम के लिए समान वेतन, समय पर वेतन दिया जाए, ऑनलाइन काम करने के लिए अलग से भुगतान किया जाए और उच्च क्वालिटी वाली मोबाइल उपलब्ध कराई जाए। इस मौके पर एएनएम श्यामा राय, अर्चना कुमारी, गीता मिश्रा, सुनीता सिंह, रागिनी कुमारी, मुन्नी कुमारी सहित अन्य मौजूद रहें।