पटना में इलाज के दौरान बक्सर के दो साल के बच्चे में दिमागी बुखार की पुष्टि, विभाग सतर्क
स्वास्थ्य विभाग ने सदर प्रखंड अंतर्गत बरुणा पंचायत के निधुआ गांव में चलाया एसीएस अभियान
केटी न्यूज/बक्सर
- स्वास्थ्य विभाग ने सदर प्रखंड अंतर्गत बरुणा पंचायत के निधुआ गांव में चलाया एसीएस अभियान
- प्रभावित इलाके में चलेगा विशेष टीकाकरण अभियान, गांव में कराया जाएगा फॉगिंग
जिले में बीते दिन दिमागी बुखार यानी जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) से संक्रमित हुए एक बच्चे की सूचना के बाद स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। जिसमें सदर प्रखंड अंतर्गत बरुणा पंचायत के निधुआ गांव का एक बच्चे को इलाज के लिए उसके परिजनों ने पीएमसीएच में भर्ती कराया है। जहां जांच में चिकित्सकों ने जेई की पुष्टि करते हुए मामले की सूचना जिला स्वास्थ्य समिति को दी। जिसके बाद गुरुवार को सदर प्रखंड के बीएचएम प्रिंस कुमार सिंह तथा यूनिसेफ के बीएमसी आलोक कुमार के नेतृत्व में एएनएम और आशा फैसिलिटेटर द्वारा सभी घरों में एक्टिव केस सर्च (एसीएस) अभियान चलाया गया। सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि एसीएस के दौरान सभी घरों के बच्चों का परीक्षण किया गया। हालांकि, इस दौरान कोई भी बच्चे में इस बीमारी के लक्षण नहीं दिखाई दिए, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने सकर्तता बरतते हुए इलाके के बच्चों को जेई का टीका और मच्छरों से बचाव के लिए फॉगिंग कराने का निर्णय लिया है। ताकि, प्रभावित इलाकों के बच्चों को जेई के प्रकोप से बचाया जा सके। साथ ही, सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को आशा कार्यकर्ताओं द्वारा अपने क्षेत्रों में जेई की निगरानी कराने को निर्देशित किया गया है।
केंद्रीय मस्तिष्क प्रभावित करता है जेई
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस एक फ्लेवी वायरस है जो संक्रमित क्यूलेक्स ट्राइटेनिओरहाइन्चस नामक मच्छर के काटने से फैलता है। इसे आम भाषा में जापानी बुखार या दिमागी बुखार भी कहते हैं। जापानी इंसेफेलाइटिस सबसे पहले व्यक्ति के केंद्रीय मस्तिष्क (सेंट्रल ब्रेन) को प्रभावित करता है और फिर बाकी शरीर के कामकाज को प्रभावित कर सकता है। इसमें व्यक्ति को तेज बुखार आता है, जिसे यह बुखार सिर पर चढ़ जाता है और फिर गर्दन में अकड़न, कोमा और न्यूरोलॉजिकल जटिलताओं का कारण बन सकता है। यह संक्रामक बुखार नहीं है और न ही यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। हालांकि, बच्चों को इस बीमारी से बचाने के लिए नियमित टीकाकरण के दौरान टीकाकृत किया जाता है।
नौ माह पर लगाया जाता है जेई का पहला टीका
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. विनोद प्रताप सिंह ने बताया कि जापानी इंसेफेलाइटिस यानी जेई से बचाव के लिए नौ माह से एक साल तक के बच्चों को पहला टीका लगाया जाता है। वहीं, 16 माह से 24 माह तक के बच्चों को जेई का दूसरा टीका लगाया जाता है। वर्ष 2010 से यह टीका नियमित टीकाकरण में शामिल है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से बचने के लिए शुद्ध पानी का उपयोग करना, जलजमाव से दूर रखें, खाने से पूर्व एवं शौच के बाद साबुन से हाथ धोना, मच्छरदानी का उपयोग करने से बहुत हद तक इस घातक बीमारी से बचा जा सकता है। जलीय पक्षी सारस, बगुला, बत्तख के कारण भी मस्तिष्क ज्वर होता है। पक्षी का जूठा फल खाने से भी यह बीमारी होता है। इसके लिए फ्रंट लाइन वर्कर्स के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा।