अधिकारों की अनदेखी और फर्जी मुकदमे से तंग जनता अब निर्णायक संघर्ष को तैयार - खेतिहर मजदूर मोर्चा
बक्सर जिले के बनारपुर पंचायत भवन पर गुरुवार को खेतिहर मजदूर मोर्चा के आह्वान पर किसान, महिला मजदूर, बेरोजगार युवा और स्थानीय ग्रामीण बड़ी संख्या में जुटे। बैठक की अध्यक्षता राजनारायण चौधरी ने और संचालन डॉ. विजय नारायण राय ने किया। मंच पर बिहार कांग्रेस प्रवक्ता अनुपम, भारतीय किसान यूनियन बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिनेश कुमार सिंह, दुग्ध उत्पादक संघ महासचिव अशोक प्रसाद सिंह और युवा हल्ला बोल अध्यक्ष प्रशांत कमल मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे।

-- कंपनी के खिलाफ उबल रहा गुस्सा, बनारपुर में गूंजा किसानों-मजदूरों का स्वर
केटी न्यूज/चौसा
बक्सर जिले के बनारपुर पंचायत भवन पर गुरुवार को खेतिहर मजदूर मोर्चा के आह्वान पर किसान, महिला मजदूर, बेरोजगार युवा और स्थानीय ग्रामीण बड़ी संख्या में जुटे। बैठक की अध्यक्षता राजनारायण चौधरी ने और संचालन डॉ. विजय नारायण राय ने किया। मंच पर बिहार कांग्रेस प्रवक्ता अनुपम, भारतीय किसान यूनियन बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिनेश कुमार सिंह, दुग्ध उत्पादक संघ महासचिव अशोक प्रसाद सिंह और युवा हल्ला बोल अध्यक्ष प्रशांत कमल मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे।
सभा में उपस्थित जनसमूह का गुस्सा साफ झलक रहा था। वक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि एसटीपीएल कंपनी के खिलाफ हो रही जांच सिर्फ दिखावा है। आरोप लगाया गया कि जिन अधिकारियों पर खुद भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, वही लोग एयरकंडीशनर वाले कमरों में बैठकर किसानों से बयान ले रहे हैं। सवाल उठा कि जब जांचकर्ता ही आरोपी की कुर्सी पर हों तो निष्पक्षता की उम्मीद कैसे की जाए।
-- भ्रामक दावों से किसानों में बढ़ी नाराज़गी
कंपनी द्वारा यह दावा किया जाना कि उसने सभी किसानों और मजदूरों की देनदारियां चुका दी हैं, सभा में मौजूद लोगों ने सिरे से खारिज कर दिया। वक्ताओं ने कहा कि वास्तविकता यह है कि अधिकांश किसानों का हक अब तक अधूरा है और मजदूर आज भी अपने बकाए के लिए दर-दर भटक रहे हैं। आरोप लगाया गया कि जिला प्रशासन और कंपनी की मिलीभगत से प्रभावित लोगों के साथ अन्याय हो रहा है।
भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 और संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा बनाए गए कानूनों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। किसानों और ग्रामीणों पर फर्जी मुकदमे लादकर उन्हें डराने-धमकाने का प्रयास किया जा रहा है। महिला मजदूरों ने भी अपनी व्यथा साझा करते हुए कहा कि उन्हें न तो काम मिला, न भुगतान, उल्टा उत्पीड़न और मुकदमों का बोझ थमा दिया गया।
-- फर्जी मुकदमे और दमन अब नहीं सहेंगे किसान
सभा में जोरदार नारों के बीच वक्ताओं ने साफ कहा कि यह संघर्ष अब पीछे हटने वाला नहीं है। किसानों और मजदूरों को चुप कराने के लिए प्रशासन और कंपनी चाहे जितने हथकंडे अपनाए, लेकिन अब जनता सचेत हो चुकी है। वक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि मांगों का समाधान जल्द नहीं हुआ तो यह आंदोलन भीषण जनाक्रोश में बदल जाएगा।
सभा में वक्ताओं ने चौसा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को भी इस संघर्ष से जोड़ा। वक्ताओं ने कहा कि जिस धरती ने कभी हुमायूं जैसी ताकतवर सत्ता को धूल चटाई थी, वही चौसा की धरती आज फिर से अन्याय के खिलाफ निर्णायक आंदोलन की गवाह बनेगी। यहां उठने वाला जनसैलाब कंपनी और भ्रष्टाचार के गढ़ को हिला देगा।
-- जनता का संकल्प, निर्णायक होगी लड़ाई
बैठक के अंत में सर्वसम्मति से यह संकल्प लिया गया कि जब तक किसानों, मजदूरों और ग्रामीणों को न्याय नहीं मिलेगा, आंदोलन जारी रहेगा। यदि सीबीआई जांच की पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं की गई और फर्जी मुकदमे वापस नहीं लिए गए, तो किसान-मजदूर मिलकर जिला मुख्यालय तक कूच करेंगे।
बनारपुर की यह बैठक सिर्फ एक पंचायत स्तर की सभा नहीं रही, बल्कि यह संकेत बन गई कि अन्याय, भ्रष्टाचार और दमन के खिलाफ अब एक बड़ा जनांदोलन आकार ले रहा है। किसानों-मजदूरों का यह स्वर सत्ता और कंपनी की सांटगांठ पर निर्णायक चोट साबित हो सकता है।