लोक शिकायत की जांच पर ‘ब्रेक’, धरने पर ‘बैन’, डुमरांव में सवालों के घेरे में प्रशासनिक पारदर्शिता
डुमरांव नगर परिषद से जुड़ा कथित भ्रष्टाचार का मामला अब प्रशासनिक फैसलों को लेकर नए विवाद में घिर गया है। जदयू नेता व पूर्व पार्षद धीरज कुमार द्वारा नगर परिषद के तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी मनीष कुमार पर हाई मास्ट लाइट, डेकोरेटिव पोल, तिरंगा लाइट, डस्टबिन, कॉम्पेक्टर मशीन व सफाई उपकरणों की खरीद में भारी वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए गए थे। इस संबंध में अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण कार्यालय डुमरांव में परिवाद दायर किया गया था, जिस पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद जांच टीम गठित करने का आदेश भी पारित हुआ।
केटी न्यूज/डुमरांव
डुमरांव नगर परिषद से जुड़ा कथित भ्रष्टाचार का मामला अब प्रशासनिक फैसलों को लेकर नए विवाद में घिर गया है। जदयू नेता व पूर्व पार्षद धीरज कुमार द्वारा नगर परिषद के तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी मनीष कुमार पर हाई मास्ट लाइट, डेकोरेटिव पोल, तिरंगा लाइट, डस्टबिन, कॉम्पेक्टर मशीन व सफाई उपकरणों की खरीद में भारी वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए गए थे। इस संबंध में अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण कार्यालय डुमरांव में परिवाद दायर किया गया था, जिस पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद जांच टीम गठित करने का आदेश भी पारित हुआ।लेकिन, मामला तब पलट गया जब लोक शिकायत निवारण अधिकारी ने अपने ही आदेश से पीछे हटते हुए बिना जांच कराए वाद समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी।

धीरज कुमार का आरोप है कि यदि लोक शिकायत निवारण प्रणाली केवल आरोपी लोक प्राधिकार के जवाब पर ही मामलों को निपटाएगी, तो बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनियम की प्रासंगिकता ही समाप्त हो जाती है।इसी फैसले के विरोध में धीरज कुमार ने 15 दिसंबर को धरना-प्रदर्शन की घोषणा करते हुए डुमरांव एसडीओ से अनुमति मांगी। लेकिन एसडीओ ने यह कहते हुए धरने पर रोक लगा दी कि परिवादी के पास अपील का विकल्प मौजूद है और उसे उसी रास्ते पर जाना चाहिए।धरना रोकने के आदेश पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए धीरज कुमार ने कहा कि यह सिर्फ धरने पर रोक नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने की कोशिश है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और आरोपी अधिकारी को बचाने के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों का गला घोंटा जा रहा है। धीरज ने इसे मौलिक अधिकारों पर सीधा हमला बताते हुए कहा कि वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे।पूर्व पार्षद ने जल्द ही खुला पत्र जारी कर पूरे मामले को राज्य सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पहुंचाने की घोषणा की है। साथ ही संकेत दिया कि धरना-प्रदर्शन को लेकर नई रणनीति और नई तिथि की घोषणा जल्द की जाएगी। अब सवाल यह है कि क्या डुमरांव में भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच होगी या विरोध की हर आवाज को “अपील का रास्ता” दिखाकर खामोश कर दिया जाएगा।
