तुलसी से संस्कार, पौधों से भविष्य, रघुनाथपुर में प्रकृति संरक्षण का जीवंत संदेश

जहां एक ओर आधुनिक जीवनशैली प्रकृति से दूरी बढ़ा रही है, वहीं ब्रह्मपुर प्रखंड के रघुनाथपुर स्थित तुलसी आश्रम में 25 दिसंबर को आयोजित तुलसी पूजन दिवस ने यह याद दिलाया कि भारतीय परम्पराओं में पर्यावरण-संरक्षण सदैव केंद्र में रहा है। इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण गतिविधि दक्षिण बिहार और तुलसी विचार मंच के संयुक्त तत्वावधान में पौधरोपण सह विचार गोष्ठी का आयोजन कर प्रकृति के साथ आत्मीय रिश्ते को फिर से जीवंत किया गया।

तुलसी से संस्कार, पौधों से भविष्य, रघुनाथपुर में प्रकृति संरक्षण का जीवंत संदेश

केटी न्यूज/ब्रह्मपुर

जहां एक ओर आधुनिक जीवनशैली प्रकृति से दूरी बढ़ा रही है, वहीं ब्रह्मपुर प्रखंड के रघुनाथपुर स्थित तुलसी आश्रम में 25 दिसंबर को आयोजित तुलसी पूजन दिवस ने यह याद दिलाया कि भारतीय परम्पराओं में पर्यावरण-संरक्षण सदैव केंद्र में रहा है। इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण गतिविधि दक्षिण बिहार और तुलसी विचार मंच के संयुक्त तत्वावधान में पौधरोपण सह विचार गोष्ठी का आयोजन कर प्रकृति के साथ आत्मीय रिश्ते को फिर से जीवंत किया गया।कार्यक्रम की शुरुआत तुलसी के पौधे के रोपण एवं विधिवत पूजन से हुई।

हरे-भरे पौधों के बीच हुई यह संगोष्ठी केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और जिम्मेदारी का सामूहिक संकल्प बन गई।कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे पर्यावरण संरक्षण गतिविधि दक्षिण बिहार के जनसंवाद प्रमुख शैलेश ओझा ने कहा कि “तुलसी पूजन प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का भारतीय तरीका है। हमारी संस्कृति में वृक्ष, जल और भूमि केवल संसाधन नहीं, बल्कि जीवन के आधार और पूज्य हैं।” उन्होंने “तरुदेव भवः” की भावना को रेखांकित करते हुए कहा कि तुलसी पूजन दिवस हमें अपनी वैज्ञानिक और लोकमंगलकारी परम्पराओं पर गर्व करना सिखाता है।

उन्होंने हर घर तुलसी और हर नागरिक पर्यावरण-रक्षक बनने का आह्वान किया।पेड़ उपक्रम के सह प्रमुख नित्यानंद ओझा ने तुलसी को औषधीय ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का केंद्र बताया। वहीं भाजपा कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक शंभू चंद्रवंशी ने कहा कि तुलसी पूजन भावी पीढ़ी में पर्यावरण-संरक्षण के संस्कार बोने का सशक्त माध्यम है।