30 वर्षों बाद मिला न्याय, कोर्ट के आदेश पर प्रशासन ने डुगडुगी पिटवा दिलाया जमीन पर कब्जा

कहते है न्याय की जीत होती है, सोमवार को यह उक्ति चरितार्थ हो गई। न्यायालय के आदेश पर प्रशासन व पुलिस की टीम ने 30 वर्षों बाद एक परिवार को न्याय दिलाते हुए उसके पांच कट्ठे के भूखंड पर डुगडुगी पिटवा कब्जा दिलाया। इस दौरान कोर्ट के कर्मी भी मौजूद थे। देर से ही सही, लेकिन दुरूस्त न्याय मिलने से पीड़ित पक्ष काफी खुश नजर आ रहा था तथा इसे न्याय की जीत बताया। मामला डुमरांव के महाराजा कोठी पथ का है।

30 वर्षों बाद मिला न्याय, कोर्ट के आदेश पर प्रशासन ने डुगडुगी पिटवा दिलाया जमीन पर कब्जा

- किरायेदार बन आए व्यक्ति ने जमा लिया था पांच कट्ठे के भूखंड पर कब्जा, न्याय मिलने से खुश नजर आ रहा था पीड़ित पक्ष

केटी न्यूज/डुमरांव

कहते है न्याय की जीत होती है, सोमवार को यह उक्ति चरितार्थ हो गई। न्यायालय के आदेश पर प्रशासन व पुलिस की टीम ने 30 वर्षों बाद एक परिवार को न्याय दिलाते हुए उसके पांच कट्ठे के भूखंड पर डुगडुगी पिटवा कब्जा दिलाया। इस दौरान कोर्ट के कर्मी भी मौजूद थे। देर से ही सही, लेकिन दुरूस्त न्याय मिलने से पीड़ित पक्ष काफी खुश नजर आ रहा था तथा इसे न्याय की जीत बताया। मामला डुमरांव के महाराजा कोठी पथ का है।

मिली जानकारी के अनुसार डुमरांव के वार्ड 18 स्थित कमल नगर मोहल्ले की निवासी स्व. विभा देवी पति स्व. राजीव रंजन लाल ने महाराजा कोठी पथ में पांच कट्ठे का एक भूखंड खरीदा था, जिसे कुछ समय बाद ही मूल रूप से नियाजीपुर व वर्तमान में महाराजा कोठी पथ में निवास करने वाले अमरेन्द्र नारायण पाठक को व्यवसाय करने के लिए किराये पर दे दिया था, लेकिन अमरेन्द्र तथा उनके परिवार ने मिलकर इस भूखंड पर कब्जा जमा लिया था।

इस दौरान कई बार पंचायती भी हुई, लेकिन वे लोग इस जमीन को नहीं छोड़ रहे थे। जिसके बाद मामला डुमरांव अनुमंडल सिविल कोर्ट पहुंचा। इस दौरान जमीन खरीदने वाले दंपति की मौत भी हो गई। इसके बाद उनके पुत्रों डॉ. सुमित सौरव व सुमन सौरव ने कोर्ट पर भरोसा जताते हुए न्याय की गुहार जारी रखी। अंत में डुमरांव सिविल कोर्ट ने कागजातों के अवलोकन के बाद फैसला वादी के पक्ष में सुनाते हुए अमरेन्द्र को उक्त जमीन से कब्जा हटाने का निर्देश दिया।

इस फैसले के खिलाफ उन्होंने सिविल कोर्ट बक्सर में अपील किया, जहां अनुमंडलीय न्यायालय के फैसले को जारी रखते हुए उनके अपील को खारिज कर दिया गया। सिविल कोर्ट ने भी उन्हें उक्त जमीन से अवैध कब्जा हटाने का निर्देश दिया, लेकिन कोर्ट के निर्देश को दरकिनार कर वे कब्जा जमाए रखे। जिसके बाद पिछले सप्ताह कोर्ट कर्मी व स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुंच उन्हें 16 मार्च तक कब्जा हटाने का मोहलत दिए थे, बावजूद वे इस दौरान भी कब्जा नहीं हटाए।

जिसके बाद सोमवार को कोर्ट कर्मी व प्रशासन की टीम पूरे लाव-लश्कर के साथ पहुंची तथा डुगडुगी पिटवाने के साथ ही जेसीबी से उनके अवैध निर्माण को ढहाते हुए उक्त जमीन पर डॉ. सुमित सौरव व डॉ. सुमन सौरव को कब्जा दिलवाया।

इस दौरान कोर्ट के नाजिर संतोष कुमार द्विवेदी, कोर्ट स्टाफ बाबूधन राय, बतौर मजिस्टेªट राजस्व अधिकारी कुमार दिनेश, सीआई संजय यादव, बक्सर पुलिस लाईन के एसआई मो. मुर्तजा खां, पुलिस लाईन से आए जवान तथा उन्हें सहयोग देने के लिए स्थानीय नया भोजपुर के प्रभारी थानाध्यक्ष सुमन कुमार व पुलिस टीम मौजूद रही। हालांकि, इस दौरान आरोपित पक्ष ने प्रशासन के कार्रवाई का कोई विरोध नहीं किया।

कोर्ट पर था भरोसा

न्याय मिलने के बाद वादी डॉ. सुमित सौरव ने बताया कि उनके माता पिता तथा हमें कोर्ट पर पूरा भरोसा था। उन्होंने कहा कि दोनों भाईयों के लिए यह सिर्फ जमीन का एक टुकड़ा ही नहीं बल्कि स्वर्गीय माता पिता की आखिरी निशानी भी है, जिसे संजो कर रखना हमारा कर्तव्य है। दोनों भाईयों ने कोर्ट के फैसले के बाद प्रशासनिक टीम को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि इस फैसले से दूसरों की जमीन पर अवैध कब्जा जमाने वालों को एक सबक भी मिल गया है।