महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय में मानवाधिकार दिवस पर विधिक जागरूकता कार्यक्रम

अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर पर बुधवार को प्लस टू महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय में विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विद्यालय के सभी शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं। यह आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बक्सर के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष हर्षित सिंह तथा अवर न्यायाधीश सह सचिव नेहा दयाल के मार्गदर्शन में पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव और पीएलवी अनिशा भारती द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य सचिन्द्र कुमार तिवारी एवं मंच संचालन सुनील कुमार ने किया।

महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय में मानवाधिकार दिवस पर विधिक जागरूकता कार्यक्रम

__भेदभाव मिटाने और अधिकारों के प्रति जागरूकता का संकल्प लिया

केटी न्यूज/डुमरांव 

अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर पर बुधवार को प्लस टू महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय में विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विद्यालय के सभी शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं। यह आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बक्सर के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष हर्षित सिंह तथा अवर न्यायाधीश सह सचिव नेहा दयाल के मार्गदर्शन में पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव और पीएलवी अनिशा भारती द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य सचिन्द्र कुमार तिवारी एवं मंच संचालन सुनील कुमार ने किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पैनल अधिवक्ता मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि दुनिया भर में 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष इसकी थीम "मानव अधिकार: हमारी रोजमर्रा की जरूरतें" रखी गई है, जो यह संदेश देती है कि सुरक्षा, भोजन, आवास और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अधिकार केवल सिद्धांत नहीं, बल्कि सम्मानजनक जीवन की बुनियाद हैं। उन्होंने बताया कि 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा स्वीकृत की गई तथा 1950 से यह दिवस विश्व स्तर पर मनाया जाने लगा। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के बिना एक स्वस्थ समाज व मजबूत राष्ट्र की कल्पना तक नहीं की जा सकती।

प्राचार्य सचिन्द्र तिवारी ने कहा कि मानवाधिकार प्रत्येक व्यक्ति के मूल, नैसर्गिक और अविच्छेद्य अधिकार हैं, जिन्हें नस्ल, जाति, धर्म, राष्ट्रीयता या लिंग के आधार पर छीना नहीं जा सकता। भारत में मानवाधिकार संरक्षण कानून 28 सितंबर 1993 से लागू है, जिसके बाद 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना की गई। उन्होंने विद्यालय परिवार की ओर से छात्राओं को उनके अधिकारों के प्रति सजग बनाने का संकल्प भी दिलाया।

पीएलवी अनिशा भारती ने कहा कि मानवाधिकार दिवस हमें समानता, सम्मान और भेदभाव-मुक्त जीवन का संदेश देता है। यह दिन समाज के उन वंचित वर्गों की याद दिलाता है जिन्हें अपने अधिकारों की प्राप्ति के लिए संघर्ष करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमें न केवल अपने अधिकारों के लिए जागरूक होना चाहिए, बल्कि दूसरों के अधिकारों का सम्मान करना भी उतना ही आवश्यक है।