रामपुर छात्रावास में जीविका दीदियों पर लगे आरोप विधायक ने किया बैठक, पत्रकारों को रोकने पर बवाल

रामपुर छात्रावास में जीविका दीदियों पर लगे आरोप विधायक ने किया बैठक, पत्रकारों को रोकने पर बवाल

केटी न्यूज/केसठ  

प्रखंड के रामपुर स्थित अनुसूचित जाति-जनजाति विद्यालय सह छात्रावास में गुरुवार को जीविका दीदियों की बहाली को लेकर अहम बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता डुमरांव विधायक डॉ. अजीत कुशवाहा ने की, जिसमें जीविका के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी डी.एन. चौबे, प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी, कैंटीन पदाधिकारी और विद्यालय प्रबंधन के लोग शामिल रहे। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि पूर्व में निकाली गई

सभी जीविका दीदियों को पुनः कार्य पर रखा जाएगा, ताकि छात्र-छात्राओं और कर्मियों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो।लेकिन इस बैठक के दौरान पत्रकारों के साथ हुए व्यवहार ने मामले को तूल दे दिया। विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा पत्रकारों को परिसर में प्रवेश से रोकने का आदेश दिया गया था। जब स्थानीय पत्रकार गेट पर पहुंचे तो गार्ड वीरेंद्र राम ने उन्हें रोक दिया और साफ कहा कि प्रधानाध्यापक के आदेश से पत्रकारों को अंदर आने की अनुमति नहीं है।

वहीं दूसरी ओर, रामपुर पंचायत के सरपंच विष्णुदेव पासवान और मुखिया प्रतिनिधि बसंत पांडेय को बिना रोक-टोक गेट के अंदर जाने दिया गया।इस भेदभावपूर्ण रवैये से नाराज पत्रकारों ने गार्ड को दो टूक जवाब देते हुए कहा कि यदि पत्रकारों को प्रवेश नहीं मिलेगा तो फिर जनप्रतिनिधियों को भी अंदर नहीं जाने देना चाहिए। पत्रकारों ने सवाल उठाया कि आखिर इस बैठक में जनप्रतिनिधियों का क्या काम है और केवल पत्रकारों को ही क्यों रोका जा रहा है। स्थिति बिगड़ती देख अंततः पत्रकारों को अंदर जाने की अनुमति दी गई।

बैठक के बाद जब पत्रकारों ने छात्रावास के प्रधानाध्यापक से सवाल-जवाब किया कि किस आदेश के तहत पत्रकारों को रोका गया और जनप्रतिनिधियों को अनुमति दी गई, तो प्रधानाध्यापक कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। लगातार सवालों से बचते हुए उन्होंने अंततः सभी पत्रकारों से माफी मांगी। मामले पर विधायक डॉ. अजीत कुमार सिंह ने कहा कि जीविका दीदियों को बिना ठोस कारण निकाला जाना गलत था।

उनके हस्तक्षेप के बाद बैठक में यह सहमति बनी कि सभी दीदियों को पुनः कार्य पर रखा जाएगा। जीविका डीपीएम डी.एन. चौबे ने बताया कि बीपीएम ,सीएलएफ और सुपरवाइजर के साथ जीविका दीदियों के बीच  कन्फ्यूजन की वजह से दीदियों को हटाया गया था, जिसे अब दूर कर लिया गया है।जल्द ही उन्हें पुनः कार्य पर रख लिया जाएगा साथ ही उन्होंने बताया को पूर्व की तरह उन्हें पद नहीं दी जाएगी कुछ में बदलाव भी होगा।

 हालांकि, जब पत्रकारों ने पूछा कि चोरी जैसे गंभीर आरोप बिना किसी प्रक्रिया के क्यों लगाए गए और संबंधित जिम्मेदारों पर कार्रवाई कब होगी, तो वह स्पष्ट जवाब देने से बचते रहे।विदित हो कि कुछ दिन पहले लगभग 23 जीविका दीदियों को छात्रावास से चोरी के आरोप लगाकर बीपीएम और सीएलएफ अध्यक्ष द्वारा बाहर कर दिया गया था।

इस घटना ने न केवल जीविका परियोजना की साख पर सवाल उठाए, बल्कि यह भी साफ किया कि पत्रकारों की पैनी निगाह और हस्तक्षेप के बिना आज दीदियों को न्याय मिल पाना मुश्किल था।