बीपीएससी में बक्सर के ओमप्रकाश व श्रेया ने लहराया परचम, बने एसडीएम

बीपीएससी में बक्सर के ओमप्रकाश व श्रेया ने लहराया परचम, बने एसडीएम

-  17 वर्षों से तैयारी कर रहे थे ओमप्रकाश, अंतिम अवसर पर मिली सफलता

- श्रेया ने पहले प्रयास में ही मारी बाजी

केटी न्यूज/बक्सर 

परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता, कठिन परिस्थितियों में की गई मेहनत का फल मिलता है। इसे साबित कर दिखाया है बक्सर के सारिमपुर मोहल्ले के रहने वाले 44 वर्षीय ओमप्रकाश लाल व मेन रोड ताड़का नाला के पास की श्रेया ने। शनिवार को जारी हुए 67वी बीपीएसएसी के रिजल्ट में ओपप्रकाश ने 17 वां रैंक ला मानो अपने 17 वर्षों की कठिन परिश्रम का फल पा लिया है। वही श्रेया ने पहले प्रयास में ही इस कठिन परीक्षा में सफलता अर्जित कर अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। दोनों का चयन एसडीएम के पद पर हुआ है। ओम प्रकाश के लिए यह अंतिम अवसर था। इस अंतिम अवसर पर सफलता ने उनके कदम चुमे है। हालांकि उनके लिए तैयारियां करना आसान नहीं रहा है। जब वे मात्र 14 वर्ष के थे तभी उनके सर से पिता का साया उठ गया था तथा मां के साथ ही तीन बहनों की जिम्मेवारियां उनके उपर आ गई थी। परिवार के भरण पोषण के साथ ही वे अपनी तैयारियों में लगे हुए थे। सफलता मिलते ही उन्हें बधाईयों का तांता लग गया है। 

पथ निर्माण विभाग में असिस्टेंट रिसर्च ऑफिसर है ओमप्रकाश

ओमप्रकाश ने बताया कि यह परीक्षा पथ निर्माण विभाग में असिस्टेंट रिसर्च ऑफिसर के पद पर रहते हुए निकाला है। लेकिन अपने जीवन काल में मुझे कई संघर्षों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के दौरान ही 14 वर्ष की अवस्था में पिता मकसूदन प्रसाद केशरी इस दुनिया को छोड़कर चल बसे थे। हालांकि उनकी इच्छा थी की वह पढ़कर कोई बड़ा ऑफिसर बने। वर्ष 1995 में एमपी हाई स्कूल बक्सर से मैट्रिक की परीक्षा पास कर इंटर की पढ़ाई एम वी कॉलेज बक्सर से किया। इग्नू बोधगया से बीएससी मैथ की पढ़ाई पूरा किया। इसके बाद ये घर पर ही कड़ी मेहनत से पढ़ाई कर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारियों में लगे हुए थे। इसके पहले वे चार बार पीसीएस की पीटी निकाल चुके थे। लेकिन मेंस में असफल हो जा रहे थे। फिलहाल वे असिस्टेंट रिसर्च ऑफिसर के पद कार्यरत है।

2012 में यूपीएससी का पीटी व इंटरव्यू 

ओमप्रकाश ने वर्ष 2012 में देश के सबसे बड़े प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षा यूपीएससी में भी सफलता पाई थी। प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा में सफल होने के बाद इंटरव्यू की परीक्षा में असफल हो गए थे। वर्ष 2013 में बीपीएससी का पीटी निकालने के बाद इंटरव्यू में असफल हो गए थे। 

सेल्फ स्टडी से श्रेया ने पहले प्रयास में पाई सफलता, बनी एसडीएम

वही बक्सर ताड़का नारा के पास रहने वाले लल्लू प्रसाद व इंदू देवी की बेटी श्रेया ने पहले प्रयास में ही बीपीएससी कै्रक कर लिया है। श्रेया ने यूपी के मुगलसराय से वर्ष 2011 में मैट्रिक व 2013 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा से वर्ष 2016 में बीएससी पास किया। इसके बाद वह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुट गई थी। श्रेया पिछले दो वर्षों से बीपीएससी की तैयारी कर रही थी और पहले प्रयास में ही यह सफलता अर्जित कर लिया है। उसका एक भाई अविनाश कुमार कुश्ती का इंटरनेशनल खिलाड़ी है जबकि दूसरा भाई विकास राज इस पर नव गठित चौसा नगर पंचायत में उप मुख्य पार्षद पद पर चयनित हुआ है। श्रेया की इस सफलता से पूरा परिवार खुश है।