बच्चों को कृमि से मुक्ति ही करेगा उनका एनीमिया से बचाव - जिलाधिकारी
जिले के एक से 19 साल तक के बच्चों को कृमि से बचाने के लिए मंगलवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया गया। इसका विधिवत शुभारंभ जिला पदाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने जिला मुख्यालय स्थित बुनियादी विद्यालय में स्कूली बच्चों को अल्बेंडाजोल की दवा खिलाकर की।

- जिला पदाधिकारी ने स्कूली बच्चों को कृमि की दवा खिलाकर किया राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का शुभारंभ
- बुनियादी विद्यालय में स्कूली छात्र-छात्राओं को सामूहिक रूप से दी गई अल्बेंडाजोल की गोलियां
- जिले के एक से 19 साल तक के 10,40,400 बच्चों को खिलाई जाएगी अल्बेंडाजोल की गोली
केटी न्यूज/बक्सर
जिले के एक से 19 साल तक के बच्चों को कृमि से बचाने के लिए मंगलवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया गया। इसका विधिवत शुभारंभ जिला पदाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने जिला मुख्यालय स्थित बुनियादी विद्यालय में स्कूली बच्चों को अल्बेंडाजोल की दवा खिलाकर की।
इस मौके पर जिलाधिकारी ने कहा कि बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए उनमें कृमि को खत्म करना जरूरी है। ये कृमि बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को पूरी तरह से प्रभावित करते हैं। कई मामलों में बच्चों में एनीमिया कृमि के कारण ही देखी गई है। इसलिए यह भी कहा जा सकता है कि कृमि से मुक्ति ही बच्चों का एनीमिया से बचाव करेगा।
जिला पदाधिकारी ने बताया कि इस बार राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर जिले के सभी विद्यालयों एवं ऑगनबाड़ी केन्द्रों पर एक साल से अधिक एवं 19 साल आयु वर्ग तक के बच्चे एवं किशोर व किशोरियों को कृमि से मुक्ति के लिए अल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी। इसके लिए जिले के 1262 सरकारी विद्यालय, 293 प्राईवेट विद्यालय एवं सभी ऑगनबाड़ी केन्द्रों पर 10,40,400 (10 लाख 40 हजार 400) बच्चों एवं किशोर/किशोरियों को लक्षित किया गया है।
उन्होंने बताया कि बच्चों को दवाओं का सेवन कराते हुए इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे अल्बेंडाजोल की गोली को चूर कर या चबाकर खाएं। इससे दवा गले में न अटके। साथ ही, बच्चों को दवा खिलाने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि उन्होंने पहले नाश्ता अनिवार्य रूप से किया हो।
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सिविल सर्जन डॉ. शिव कुमार प्रसाद चक्रवर्ती ने बताया कि कृमि संक्रमण से अनेक बीमारियों में प्रमुख एनिमिया, मानसिक एवं शारीरिक बिकास में बाधक है। दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, उल्टी एवं भूख नहीं लगना इसके प्रमुख लक्षण है। हर वर्ष यह कार्यक्रम संचालित किया जाता है। इसके सफल संचालन के लिए स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और आईसीडीएस विभाग के समन्वय से अभियान चलाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि कृमि रोग लगने से बच्चों के जीवन पर कई बड़े हानिकारक प्रभाव भी पड़ते हैं। कृमि रोग लगने से बच्चों के शरीर में थकावट ज्यादा रहती है और पढ़ाई में उनका मन भी नहीं लग पाता है। इसलिए इस रोग से बचने के लिए बच्चों को कभी खुले में शौच नहीं जाने दें, कुछ भी खाने से पहले हाथ धोएं, खाना ढका हुआ ही खाएं और साफ पानी पिएं। कृमि के कारण स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति में कमी आती है। जिसको देखते हुए सरकार के निर्देश पर बच्चों के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाता है।
एक से दो साल तक के बच्चों को आधी गोली पीसकर व पानी में घोलकर पिलानी है
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. विनोद प्रताप सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का उद्देश्य स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों के मंच के माध्यम से 1-19 वर्ष की आयु के सभी पूर्वस्कूली और स्कूल आयु वर्ग के बच्चों को उनके समग्र स्वास्थ्य, पोषण संबंधी स्थिति, शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए कृमि मुक्त करना है। अलग अलग उम्र के बच्चों को अलग अलग विधि से दवाओं का सेवन कराना है। उन्होंने बताया कि एक से दो साल तक के बच्चों को आधी गोली पीसकर व पानी में घोलकर पिलाना है।
वहीं, दो से 19 साल के बच्चों को अल्बेंडाजोल की एक गोली चबाकर खाने के बाद पानी पीना है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन गोलियों को किसी भी बच्चे को खाली पेट नहीं खिलानी है। उन्होंने बताया कि कई मामलों में दवाओं का सेवन करने के बाद बच्चों को उल्टी, मितली या चक्कर जैसे लक्षण दिखेंगे। जो उनमें कृमि की मौजूदगी के कारण होती है। इसलिए घबराने की बात नहीं है। यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित है।
मौके पर जिला शिक्षा पदाधिकारी विष्णुकांत राय, सर्व शिक्षा अभियान के डीपीओ मो. शरीफ, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक हिमांशु सिंह, सदर प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक प्रिंस कुमार सिंह, जिला लेखा प्रबन्धक राजेश सिंह, डाटा ऑपरेटर शशि कुमार, डाटा ऑपरेटर चंदन कुमार, एविडेंस एक्शल भीम कुमार, सीएफएआर के एसपीओ अमित सिंह के अलावा राजकीय बुनियादी विद्यालय की प्राचार्य ज्योत्सना कुमार व स्कूली छात्राएं उपस्थित रहे।