आज नालंदा आ रहे पीएम मोदी, विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन करेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को बिहार का दौरा करेंगे, जहां वे राजगीर में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पास स्थित नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करेंगे। इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर और 17 भागीदार देशों के राजदूत भी शामिल होंगे।

आज नालंदा आ रहे पीएम मोदी, विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन करेंगे

केटी न्यूज़, ऑनलाइन डेस्क: पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को बिहार का दौरा करेंगे, जहां वे राजगीर में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पास स्थित नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करेंगे। इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर और 17 भागीदार देशों के राजदूत भी शामिल होंगे। नए परिसर में निर्माण कार्य 2017 में शुरू हुआ था और इसे लेकर कई समझौते भी किए गए थे।

बौद्ध कूटनीति को मिलेगी नई दिशा

जयप्रकाश रंजन, जागरण, मैक्लोडगंज से मिली जानकारी के अनुसार, भारत की बौद्ध कूटनीति अब ज्यादा धारदार होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार (19 जून) को बिहार के राजगीर में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पास स्थित नये नालंदा विश्वविद्यालय के कैंपस का उद्घाटन करेंगे। इस विश्वविद्यालय के माध्यम से बौद्ध धर्म मानने वाले प्रमुख देशों जैसे श्रीलंका, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया में भारत के प्रति वैसा ही सद्भाव बनाने की कोशिश होगी जैसा प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के काल में था।

नये नालंदा विश्वविद्यालय का उद्देश्य

भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि भारत सरकार की कोशिश नये नालंदा विश्वविद्यालय को 21वीं सदी में वही स्थान दिलाना है जो इसे 800 साल पहले हासिल था। नया कैंपस सरकार के इस इरादे को दर्शाता है कि वह इसे शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र के तौर पर स्थापित करना चाहती है। वर्ष 2010 में भारत सरकार ने कानून बनाकर नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की थी, लेकिन अभी तक यह अस्थायी कैंपस में चल रहा था। 

17 देशों के राजदूतों की भागीदारी

बुधवार को होने वाले उद्घाटन कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर और 17 देशों के राजदूतों के शामिल होने की संभावना है। ये वही देश हैं जिन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना और इसे चलाने में सहयोग देने के लिए समझौते किए थे। इनमें बौद्ध धर्मावलंबियों वाले देशों के अलावा ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल और चीन भी शामिल हैं। 

विशाल पुस्तकालय की स्थापना

नालंदा विश्वविद्यालय अपने विशाल पुस्तकालय के लिए प्रसिद्ध था। इसके नए स्वरूप में निर्मित लाइब्रेरी में भी तीन लाख से ज्यादा पुस्तकें रखी गई हैं। यह पुस्तकालय आधुनिक तकनीक से सुसज्जित है और छात्रों के लिए एक बड़ा संसाधन केंद्र होगा।

तिब्बत नीति और अमेरिकी सांसदों की यात्रा

भारत की तिब्बत नीति भी नई करवट लेती दिख रही है। 19 जून को अमेरिकी सांसदों का सबसे बड़ा दल 14वें दलाई लामा से मुलाकात करने जा रहा है। अमेरिकी संसद में विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष माइकल मैकोल की अगुवाई में आए दल की इस यात्रा पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। 

जानकारों का कहना है कि बौद्ध धर्म मानने वाले अधिकांश देशों के रिश्ते चीन के साथ बहुत मधुर नहीं हैं और इनके साथ संबंधों की अहमियत भारत के हितों के लिए पहले से ज्यादा बढ़ गई है। उधर, अंतरराष्ट्रीय फलक पर जिस तरह से तिब्बत का मुद्दा गरम हो रहा है, उसे लेकर भी भारत सतर्क है और अपनी भावी नीति पर काम कर रहा है।

 चीन की प्रतिक्रिया

चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी सांसदों की इस यात्रा को चीन के मामले में सीधा हस्तक्षेप बताया है। दलाई लामा को चीन ने पृथक आंदोलन चला रहे समूह का मुखिया करार दिया है। चीन ने यह भी कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति को टीआरए (तिब्बत रिजाल्व एक्ट) पर हस्ताक्षर नहीं करने चाहिए। भारत ने इस विधेयक पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, हालांकि, भारत एक-एक गतिविधि पर नजर रखे हुए है।

नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन और तिब्बत नीति के मुद्दे ने भारत की बौद्ध कूटनीति को नई दिशा देने का काम किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कदम न केवल शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की स्थिति को मजबूत करने वाला है।