रामपुर की अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई बनी मिसाल, कचरे से तैयार जैविक खाद ने बदली खेती की सोच
प्रखंड के रामपुर गांव स्थित अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई में लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत कार्यरत कर्मियों ने ऐसा कार्य कर दिखाया है, जिसकी चर्चा अब पूरे क्षेत्र में हो रही है। गांव से निकलने वाले बेकार समझे जाने वाले कचरे को एकत्र कर कर्मियों ने मात्र तीन माह में उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद तैयार कर दी है।
पीके बादल/केसठ।
प्रखंड के रामपुर गांव स्थित अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई में लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत कार्यरत कर्मियों ने ऐसा कार्य कर दिखाया है, जिसकी चर्चा अब पूरे क्षेत्र में हो रही है। गांव से निकलने वाले बेकार समझे जाने वाले कचरे को एकत्र कर कर्मियों ने मात्र तीन माह में उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद तैयार कर दी है। यह पहल न सिर्फ स्वच्छता की दिशा में बड़ी उपलब्धि है, बल्कि जैविक खेती को बढ़ावा देने का भी मजबूत उदाहरण बनकर उभरी है। कर्मियों द्वारा नाडेप में तैयार इस जैविक खाद की गुणवत्ता परखने के लिए डीआरपी त्रिभुवन सिंह ने इसे प्रयोग में लाकर देखा। उन्होंने तैयार खाद में प्याज की फसल लगाई, जो महज 15 दिनों के भीतर तैयार हो गई।

खास बात यह रही कि इस पूरी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की रासायनिक खाद या दवा का इस्तेमाल नहीं किया गया। इसके बावजूद फसल की गुणवत्ता बाजार में मिलने वाली प्याज की तुलना में कहीं बेहतर पाई गई।डीआरपी ने बताया कि इस जैविक खाद से उगाई गई प्याज स्वाद, आकार और पौष्टिकता तीनों ही मामलों में उत्कृष्ट है। उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद के लगातार उपयोग से जहां मिट्टी की उर्वरता प्रभावित हो रही है, वहीं रामपुर में तैयार की गई यह जैविक खाद मिट्टी के स्वास्थ्य को सुधारने में कारगर साबित होगी।यह न सिर्फ किसानों के लिए फायदेमंद है, बल्कि आम लोगों की सेहत के लिए भी सुरक्षित और लाभकारी है।

उन्होंने बताया कि इस खाद को तैयार करने में गांव से निकलने वाले गोबर, सब्जियों के छिलके, घरों से निकलने वाला गीला कचरा और विद्यालयों के मध्यान्ह भोजन से निकलने वाले खाद्य अपशिष्ट सड़े गले फल का उपयोग किया गया है। आमतौर पर यही कचरा इधर-उधर फेंक दिया जाता है, जिससे गंदगी फैलती है। लेकिन लोहिया स्वच्छता अभियान के कर्मियों ने इसे संसाधन में बदलकर मिसाल कायम कर दी है। इस उपलब्धि के बाद क्षेत्र के किसान भी उत्साहित नजर आ रहे हैं। डीआरपी ने कहा कि यदि किसी भी किसान बंधु को इस जैविक खाद की आवश्यकता हो, तो वे रामपुर स्थित अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई से सीधे संपर्क कर सकते हैं।

भविष्य में इसे बड़े पैमाने पर तैयार कर किसानों तक पहुंचाने की योजना भी बनाई जा रही है।ग्रामीणों का कहना है कि रामपुर की यह पहल स्वच्छ भारत मिशन और जैविक खेती दोनों उद्देश्यों को एक साथ साकार कर रही है। कचरे से खाद बनाकर न सिर्फ गांव को साफ रखा जा रहा है, बल्कि किसानों की आमदनी बढ़ाने और लोगों को रासायनिक मुक्त भोजन देने की दिशा में भी ठोस कदम उठाया गया है।रामपुर की अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई आज पूरे प्रखंड के लिए प्रेरणा बन चुकी है। डीआरपी ने कहा कि अगर ये पहल हर पंचायत में की जाए, तो स्वच्छता, स्वास्थ्य और खेती तीनों क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव संभव है।
