सम्राट चौधरी ने तोड़ा अपना प्रण
सरयू में डुबकी लगाते हुए सम्राट चौधरी ने अपना मुरेठा खोल दिया। इसके अलावा सम्राट चौधरी ने अयोध्या में मुंडन भी करवाया है।
केटी न्यूज़/बिहार
सम्राट चौधरी कल 3 जुलाई को अपने पूरे काफिले के साथ पटना से अयोध्या के लिए रवाना हुए थे। वहीं आज यानी बुधवार को सम्राट ने सरयू में स्नान किया। सरयू में डुबकी लगाते हुए सम्राट चौधरी ने अपना मुरेठा खोल दिया। इसके अलावा सम्राट चौधरी ने अयोध्या में मुंडन भी करवाया है।मंदिर की ओर जा रहे सम्राट पीले वस्त्र और माथे पर बड़ा सा टीका लगाए दिखाई दिए।उन्होंने अपने बाल भगवान राम के धाम में दान दे दिए हैं।बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने अपनी पगड़ी उतार दी है।सम्राट चौधरी के नए अवतार ने हर किसी को चौंका दिया है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार को कुर्सी से हटाने के लिए ये मुरैठा बांधा था।सम्राट चौधरी ने कहा, हमारी प्रतिबद्धता नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से हटाने की थी। मेरा संकल्प पिछली 28 जनवरी को पूरा हो गया, क्योंकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी दलों के समूह इंडिया से अलग होकर हमारे साथ आ गए और हमारे मुख्यमंत्री बन गए इसलिए मैंने अपनी पगड़ी खोल दी है।
सम्राट चौधरी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर पोस्ट शेयर कर लिखा-बंदउँ अवध पुरी अति पावनि। सरजू सरि कलि कलुष नसावनि॥प्रनवउँ पुर नर नारि बहोरी। ममता जिन्ह पर प्रभुहि न थोरी॥अयोध्याधाम में पवित्र सरयू नदी में डुबकी लगाई और हमारे इष्ट, प्रभु श्रीराम को स्तुति कर मुरेठा खोला।सरयू में स्नान करने के बाद सम्राट चौधरी ने राम मंदिर में माथा टेका। इसी के साथ उन्होंने हनुमान गढ़ी के भी दर्शन किए हैं। सम्राट का अयोध्या में भव्य स्वागत हुआ है, जिसकी झलक उनके एक वीडियो में देखी जा सकती है। मंदिर की ओर जा रहे सम्राट पीले वस्त्र और माथे पर बड़ा सा टीका लगाए दिए।
सम्राट चौधरी के मुरेठा खोलने को लेकर विपक्षी दलों में भी बयानबाजी शुरू हो गई है। आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद ने सम्राट से सवाल पूछते हुए कहा कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि सम्राट को अपना संकल्प तोड़ते हुए पगड़ी खोलनी पड़ गई है। क्या सत्ता की लालच में बीजेपी नीतीश कुमार के सामने पूरी तरह से नतमस्तक हो चुकी है?राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. सुबोध कुमार मेहता ने कहा कि सम्राट चौधरी ने अपने तथाकथित वचन, अपनी जुबान की तिलांजलि दे दी है और वह भी मजमा लगाकर, भीड़ जुटाकर, मीडिया बुलाकर। उन्होंने कहा कि अगर सम्राट चौधरी को सत्ता और राजपाट के लोभ में अपना वचन तोड़ना ही था, तो वचन के पक्के मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मस्थली की परंपरा तोड़ने से अच्छा होता, वह ज्ञान प्राप्ति के स्थल बोधगया चले जाते और अशोक के धम्म एवं भगवान बुद्ध के 'बहुजन हिताय बहुजन सुखाय' के सिद्धांत से प्रेरणा लेते।