शहादत को सलाम: पैतृक गांव लाया गया शहीद जवान सुनील का शव भारत माता की जय व पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों से गूंजा बक्सर, साथी जवानों ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर डीएम-एसपी ने दी सलामी
आपरेशन सिंदूर के दौरान जख्मी हुए तथा इलाज के दौरान शहीद हुए चौसा के सुनील यादव का शव रविवार को उनके पैतृक गांव चौसा के नरबतपुर लाया गया। शव आते ही परिजनों के क्रंदन चित्कार से माहौल गमगीन हो गया। उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण उनके दरवाजे पर जुटे थे। साथी जवानों द्वारा जैसे ही उनके शव को दरवाजे पर लाया गया, सुनील यादव अमर रहे के नारे से गुंजने लगे। बाद में चौसा स्थित गंगा घाट पर उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया।

केटी न्यूज/ बक्सर
आपरेशन सिंदूर के दौरान जख्मी हुए तथा इलाज के दौरान शहीद हुए चौसा के सुनील यादव का शव रविवार को उनके पैतृक गांव चौसा के नरबतपुर लाया गया। शव आते ही परिजनों के क्रंदन चित्कार से माहौल गमगीन हो गया। उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण उनके दरवाजे पर जुटे थे। साथी जवानों द्वारा जैसे ही उनके शव को दरवाजे पर लाया गया, सुनील यादव अमर रहे के नारे से गुंजने लगे। बाद में चौसा स्थित गंगा घाट पर उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान शव के साथ आए जवानों ने परंपरा के तहत गार्ड ऑफ ऑनर दिया। वहीं बक्सर डीएम डा. विद्यानंद सिंह व एसपी शुभम आर्य ने श्रद्धांजली देते हुए सलामी दी। इस दौरान बिहार सरकार के दर्जनों पदाधिकरी व पुलिस के जवान मौजूद थे।
बता दे कि जिले के चौसा निवासी और भारतीय थल सेना के जवान सुनील यादव ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जम्मू काश्मीर के रजौरी मे तैनात थे। नौ मई की रात पाकिस्तानी ड्रोन अटैक में वे घायल हो गए थे। जिसके बाद उनका इलाज स्थानीय सेना के अस्पताल में चल रहा था। सीज फायर के बाद 15 मई को उन्हें रजौरी से उधमपुर सेना अस्पताल में एयरलिफ्ट किया गया था, लेकिन इलाज के दौरान वे सदा के लिए अमर हो गए। बता दें कि सुनील चौसा के नरबतपुर निवासी जनार्दन सिंह के तीन पुत्रों में बड़े थे।
माता पवधारी देवी सेवानिवृत शिक्षिका है। वहीं वे अपने पीछे माता पिता के अलावे पत्नी सुजाता देवी, पुत्रों सौरव कुमार सिंह व कृष के अलावे दो भाईयों रामदीन तथा चंदन सिंह को छोड़ गए है। ग्रामीणों ने बताया कि चंदन भी आर्मी का जवान है तथा पहलगाम हमले के बाद चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वह भी अपने भाई के साथ जम्मू काश्मीर की सीमा पर पाकिस्तान से लोहा ले रहा था। जिस वक्त सुनील ड्रोन हमले का शिकार हुआ उस वक्त चंदन की तैनाती उससे मात्र सात किलोमीटर दूर थी। भाई के शहादत की खबर मिलते ही चंदन भी चित्कार कर उठा है। सबसे खराब हाल उसकी मां तथा पत्नी का है।
ग्रामीणों का कहना है कि सुनील बचपन से ही साहसी व बहादूर था तथा उसमें देश सेवा की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। पहलगाम हमले के बाद वह ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ जारी जंग में काफी बहादूरी दिखा रहा था तथा पाकिस्तान की तरफ से आने वाले हर ड्रोन को मार गिरा था, इसी दौरान गलती से एक ड्रोन का कुछ हिस्सा उसे आ लगा, जिससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गया तथा इलाज के दौरान शहादत को वरण किया है। चौसा के इस लाल पर पूरे जिले को गर्व महसूस हो रहा है।