परिवर्तन के मूड में है डुमरांव की जनता, जदयू से है मेरी सीधी टक्कर - ददन पहलवान
डुमरांव विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में अब माहौल पूरी तरह चुनावी रंग में रंग चुका है। सभी प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं, वहीं बसपा प्रत्याशी और पूर्व मंत्री ददन सिंह यादव उर्फ ददन पहलवान ने कहा है कि डुमरांव की जनता इस बार परिवर्तन के मूड में है। उन्होंने विश्वास जताया कि जनता इस बार स्थानीय बेटे को मौका देगी और उन्हें सदन तक पहुंचाएगी।

-- पूर्व मंत्री बोले, जनता उब चुकी है निवर्तमान विधायक से, इस बार भेजेगी डुमरांव के बेटे को सदन में
केटी न्यूज/डुमरांव।
डुमरांव विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में अब माहौल पूरी तरह चुनावी रंग में रंग चुका है। सभी प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं, वहीं बसपा प्रत्याशी और पूर्व मंत्री ददन सिंह यादव उर्फ ददन पहलवान ने कहा है कि डुमरांव की जनता इस बार परिवर्तन के मूड में है। उन्होंने विश्वास जताया कि जनता इस बार स्थानीय बेटे को मौका देगी और उन्हें सदन तक पहुंचाएगी।

मंगलवार को चुनाव प्रचार के अंतिम दिन ददन यादव ने कहा कि अब जनता निवर्तमान विधायक डॉ. अजीत कुमार सिंह से पूरी तरह उब चुकी है। उनके अनुसार, इस बार डुमरांव की लड़ाई सीधी जदयू प्रत्याशी राहुल कुमार सिंह से है, जबकि माले प्रत्याशी और वर्तमान विधायक तीसरे स्थान पर खिसकेंगे। उन्होंने कहा कि “जनता ने इस बार हमें जिस स्नेह और समर्थन से नवाज़ा है, वह अभूतपूर्व है। मुझे पूरा भरोसा है कि 14 नवंबर को मतगणना के दिन यह स्नेह जीत में तब्दील होगा।

चुनावी मैदान में ददन यादव का जनसंपर्क अभियान इस बार पहले की तुलना में अधिक व्यापक और सुनियोजित रहा। ग्रामीण इलाकों से लेकर कस्बाई क्षेत्रों तक उन्होंने लगातार जनसभाएं और संपर्क अभियान चलाए। कई जगहों पर समर्थकों ने उनके स्वागत में फूलों की वर्षा, दूध से स्नान और लड्डू से तौलकर अपना समर्थन जताया। हालांकि, ददन ने इसे जनता के प्यार की अभिव्यक्ति बताया और कहा कि यह सब कुछ “डुमरांव के लोगों की आत्मीयता” का प्रतीक है।

ददन ने कहा कि राहुल सिंह तथा अजित कुशवाहा दोनों बाहरी है। डुमरांव की जनता उन्हें बाहर का रास्ता दिखाएगी। ददन यादव लंबे समय से डुमरांव की राजनीति के अहम चेहरे रहे हैं। चाहे बतौर विधायक हों या मंत्री, उनका राजनीतिक प्रभाव इस क्षेत्र में हमेशा चर्चा का विषय रहा है। हालांकि, पिछले चुनावों में उन्हें सफलता नहीं मिली थी, लेकिन इस बार वे नए उत्साह और बदले समीकरणों के साथ मैदान में हैं।

जनता का रुझान क्या वास्तव में उनके पक्ष में है या नहीं, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। लेकिन इतना तो तय है कि इस बार डुमरांव में मुकाबला दिलचस्प हो गया है। मतदाता चुप हैं, मगर माहौल में बदलाव की आहट जरूर सुनाई दे रही है। अब यह देखना बाकी है कि जनता का यह “परिवर्तन का मूड” किसके हक में परिणाम देता है, इसका फैसला 14 नवंबर को मतगणना के दिन होगा।

