केसठ उच्च विद्यालय का खेल मैदान बना धान सुखाने का अड्डा

प्रखंड के केसठ गांव स्थित उच्च विद्यालय का खेल मैदान इन दिनों शिक्षा और खेल गतिविधियों के बजाय धान और पुवाल सुखाने का केंद्र बनता जा रहा है। बच्चों और युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए बनाए गए इस मैदान पर स्थानीय लोगों द्वारा खुलेआम धान फैलाकर सुखाया जा रहा है, जिससे न सिर्फ विद्यालय का शैक्षणिक माहौल बिगड़ रहा है, बल्कि खेल और शारीरिक गतिविधियां भी पूरी तरह बाधित हो गई हैं।

केसठ उच्च विद्यालय का खेल मैदान बना धान सुखाने का अड्डा

-- पढ़ाई और खेल दोनों पर भारी पड़ रहा अतिक्रमण, प्रशासनिक चुप्पी पर उठे सवाल

केटी न्यूज/केसठ।

प्रखंड के केसठ गांव स्थित उच्च विद्यालय का खेल मैदान इन दिनों शिक्षा और खेल गतिविधियों के बजाय धान और पुवाल सुखाने का केंद्र बनता जा रहा है। बच्चों और युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए बनाए गए इस मैदान पर स्थानीय लोगों द्वारा खुलेआम धान फैलाकर सुखाया जा रहा है, जिससे न सिर्फ विद्यालय का शैक्षणिक माहौल बिगड़ रहा है, बल्कि खेल और शारीरिक गतिविधियां भी पूरी तरह बाधित हो गई हैं।

-- खेल सुविधाओं पर निजी कब्जा

विद्यालय परिसर में बने खेल मैदान, रनिंग ट्रैक और बास्केटबॉल कोर्ट का उपयोग विद्यार्थियों के अभ्यास और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं द्वारा किया जाता था। लेकिन इन दिनों मैदान पर चारों ओर धान और पुवाल बिछा होने के कारण दौड़, व्यायाम और अन्य खेल गतिविधियां लगभग ठप हो चुकी हैं। युवाओं का कहना है कि वे नियमित रूप से इसी मैदान में अभ्यास करते थे, पर अब मजबूरन दूसरे स्थान तलाशने पड़ रहे हैं। इससे उनकी शारीरिक तैयारी और अनुशासन पर सीधा असर पड़ रहा है।

-- पढ़ाई का माहौल भी हो रहा प्रभावित

धान सुखाने के कारण विद्यालय अवधि के दौरान भी परिसर में लोगों की आवाजाही बढ़ जाती है। ट्रैक्टर, बाइक और पैदल आवाजाही से शोर-शराबा बना रहता है, जिससे कक्षाओं में पढ़ाई का माहौल खराब हो रहा है। छात्र-छात्राओं का ध्यान भंग होता है और शिक्षक अनुशासन बनाए रखने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। विद्यालय का वह परिसर, जो अनुशासन और सीखने का केंद्र होना चाहिए, अव्यवस्था का प्रतीक बनता जा रहा है।

-- विरोध से डर, शिक्षक मौन

सूत्रों के अनुसार, इस गंभीर समस्या के बावजूद शिक्षक और विद्यालय प्रबंधन खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि धान सुखाने वाले अधिकांश लोग स्थानीय निवासी हैं और विरोध करने पर विवाद या हंगामे की आशंका बनी रहती है। इसी कारण शिक्षक और प्रधानाध्यापक मजबूरी में चुप्पी साधे हुए हैं। इस बीच स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में है।

-- अभिभावकों में नाराजगी

स्थानीय अभिभावकों का कहना है कि सरकार बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए खेल मैदान, रनिंग ट्रैक और अन्य सुविधाओं पर लाखों रुपये खर्च करती है। यदि इन्हीं स्थानों पर निजी उपयोग होने लगे तो बच्चों का भविष्य कैसे संवरेगा। अभिभावकों ने मांग की है कि विद्यालय परिसर और खेल मैदान को तत्काल अतिक्रमण मुक्त कराया जाए और जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई हो।

-- सिर्फ केसठ नहीं, व्यापक समस्या

सूत्रों का यह भी कहना है कि यह स्थिति केवल केसठ उच्च विद्यालय तक सीमित नहीं है। प्रखंड क्षेत्र के कई ग्रामीण विद्यालयों में खेल मैदान और खुले परिसर का इसी तरह दुरुपयोग हो रहा है। यदि समय रहते प्रशासन ने सख्त कदम नहीं उठाए, तो शिक्षा व्यवस्था और खेल संस्कृति को गहरी क्षति पहुंच सकती है।

-- बोले जिला शिक्षा पदाधिकारी

इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि स्थानीय लोगों को यह समझना चाहिए कि विद्यालय की संपत्ति उनके ही बच्चों के भविष्य के लिए है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि विद्यालय परिसर का इस तरह उपयोग नहीं होना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाएगा।अब देखना यह है कि प्रशासन के निर्देश जमीन पर कब तक उतरते हैं और क्या केसठ उच्च विद्यालय का खेल मैदान फिर से बच्चों और युवाओं के लिए वापस मिल पाता है या नहीं।