पहलवानों से होना चाहिए गांवों की पहचान - ददन पहलवान
- मठिला के अखाड़े पर पहलवानों ने दिखाया कुश्ती का दांव-पेंच
- गोवर्द्धन पूजा पर आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता में कई राज्यों के पहलवान हुए शामिल
केटी न्यूज/डुमरांव
अनुमंडल के मठिला गांव में गोवर्द्धन पूजा के अवसर पर कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस कुश्ती प्रतियोगिता में बिहार, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के नामी-गिरामी पहलवानों ने शिरकत किया। प्रतियोगिता का उद्घाटन पूर्व मंत्री ददन पहलवान ने फीता काटकर किया। सैकड़ो की संख्या में पहुंचे दर्शकों एवं पहलवानों को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री ददन पहलवान ने कहा कि गांवों की पहचान पूर्व की तरह आज भी पहलवानों से होनी चाहिए। गांव और कस्बों में पारंपरिक खेलों से
अच्छे समाज की संरचना भी बनती है। अखाड़े में युवाओं के उतरने से शारीरिक क्षमता व मानसिक विकास बढ़ता है। समाज को पहलवानों को उचित सम्मान देकर इस बुनियादी खेल को बरकरार रखने की जरूरत है। पहलवान ने कहा कि कुश्ती एक पारंपरिक खेल है। प्राचाीन काल से ही भारत का इस खेल में दबदबा रहा है। उन्होंने कहा कि कुश्ती को
जीवंत रखना जरूरी है। ऐसे आयोजनों से कुश्ती को आक्सीजन मिलता है। पहलवान ने इस आयोजन के लिए आयोजन समिति का आभार जताया और कहा कि जहां भी कुश्ती प्रतियोगिता आयोजित होती है मैं स्वतः ही वहां जाना चाहता हूं। उन्होंने आयोजकों तथा पहलवानों की हौसलाअफजाई करते हुए कहा कि इस खेल को बढ़ावा देने के लिए वे हर संभव मदद को
तैयार है। इस दौरान रेफरी की भूमिका अमला पहलवान ने निभाई जबकि संचालन रमेश पहलवान ने किया। अतिथियों को समाजसेवी विजय यादव, मोहन तिवारी, फुलेंद्र सिंह, योगेंद्र यादव, उमेश यादव, ललन सिंह आदि ने स्वागत किया। मठिला के अखाड़े में हरेक कुश्ती पर गणमान्य लोगों द्वारा पुरस्कारों की बौछार की गयी। पहलवानों के दांव-पेंच पर दर्शकों द्वारा
तालियों से हौसलाफजाई का दौर जारी रहा। इस प्रतियोगिता में प्रयागराज के अरविंद पहलवान, चंदौली के शमशेर पहलवान, गाजीपुर के अशोक पहलवान, आगरा के हरेंद्र पहलवान, मोहम्दाबाद के सलमान पहलवान के अलावे रामबदन पहलवान, मिठू पहलवान, राहुल पहलवान, श्रीभगवान पहलवान सहित अन्य ने अपना परचम लहराया।
आयोजकों द्वारा विजयी पहलवानों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। वहीं दूसरी ओर पश्चिम अखाड़ा कुश्ती प्रतियोगिता का उद्घाटन डुमरांव विधायक डॉ अजित कुशवाहा ने किया। रेफरी के रूप में अरुण सिंह पहलवान की भूमिका रही। इस अखाड़े में शिवनाथ यादव, धुरान यादव, झमलाल यादव, हरेराम यादव, गुलिया यादव का विशेष योगदान रहा।