मन की डोर जब प्रभु से जुड़ी, हनुमत धाम में भागवत कथा ने रचा भक्ति का उत्सव
सदर प्रखंड के कमरपुर स्थित श्री हनुमत धाम मंदिर इन दिनों भक्ति, वैराग्य और अध्यात्म की अलौकिक छटा से सराबोर है। यहां आयोजित संत सद्गुरुदेव स्मृति महोत्सव अपने दसवें दिन एक आध्यात्मिक पर्व के रूप में सामने आया, जहां सुबह से रात तक श्रद्धालु भगवान की कथा, भजन और सेवा में डूबे रहे।
-- संत सद्गुरुदेव स्मृति महोत्सव में उमड़ा श्रद्धा, सेवा और संगीत का संगम
केटी न्यूज/बक्सर
सदर प्रखंड के कमरपुर स्थित श्री हनुमत धाम मंदिर इन दिनों भक्ति, वैराग्य और अध्यात्म की अलौकिक छटा से सराबोर है। यहां आयोजित संत सद्गुरुदेव स्मृति महोत्सव अपने दसवें दिन एक आध्यात्मिक पर्व के रूप में सामने आया, जहां सुबह से रात तक श्रद्धालु भगवान की कथा, भजन और सेवा में डूबे रहे।महोत्सव के दसवें दिन की शुरुआत प्रातःकाल श्रीरामचरितमानस के सामूहिक पाठ से हुई। मंत्रोच्चार और रामनाम के मधुर स्वर से मंदिर परिसर भक्तिमय हो उठा। श्रद्धालुओं ने एक स्वर में चौपाइयों का पाठ कर वातावरण को पवित्र कर दिया।

-- भागवत कथा में गूंजा जीवन का मर्म
दोपहर में श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस का आयोजन हुआ। कथा व्यास उमेश भाई ओझा ने कर्दम ऋषि की कठोर तपस्या, देवहूति से विवाह और पुत्र प्राप्ति की कामना का मार्मिक प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि यदि किसी कुल में भक्त पुत्र का जन्म हो जाए, तो इक्कीस पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है।उमेश भाई ने कबीर के दोहे के माध्यम से जीवन का गूढ़ रहस्य समझाया और कहा कि “मन ही बंधन और मन ही मोक्ष का कारण है।”उन्होंने बताया कि शरीर संसार में रहे, लेकिन मन यदि भगवान में लग जाए, तो जीवन स्वयं तीर्थ बन जाता है। सेवा को भक्ति की जड़ बताते हुए उन्होंने कहा कि अतिथि सेवा करने वाला व्यक्ति स्वयं कृतकृत्य हो जाता है।

-- भक्ति, दान और वीरता, माता की सच्ची कामना
कथा के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि माता को तीन ही प्रकार के पुत्र की कामना करनी चाहिए, भक्त, दानी या वीर। ऐसा होने पर घर ही भगवान का धाम बन जाता है। कर्दम ऋषि और देवहूति की संतानों तथा कपिल मुनि के सांख्य दर्शन का उल्लेख करते हुए उन्होंने भाव भक्ति को क्रिया से श्रेष्ठ बताया।
-- भजनों पर झूमे श्रद्धालु
संध्या काल में आयोजित भजन संध्या में प्रसिद्ध भजन गायक धर्मेंद्र व्यास ने अपने सुमधुर भजनों से श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। “बीते गए दिन भजन बिना रे” जैसे भजनों पर भक्त झूमते नजर आए। मंदिर परिसर तालियों और जयकारों से गूंज उठा।

-- दूर-दूर से उमड़ रहे श्रद्धालु
पूरे क्षेत्र में भक्ति का माहौल बना हुआ है। आसपास ही नहीं, बल्कि दूर-दराज से संत, साधु और श्रद्धालु हनुमत धाम पहुंच रहे हैं। यह महोत्सव 31 दिसंबर को विशाल भंडारे के साथ संपन्न होगा।हनुमत धाम में चल रहा यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाला आध्यात्मिक संदेश बनकर सामने आया है, जहां मन को भगवान से जोड़ने का आह्वान किया जा रहा है।
