जमीन नहीं तो वर्षों तक कचरा कहां डंप हुआ - रवि उज्ज्वल कुशवाहा
डुमरांव नगर परिषद की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। कचरा प्रबंधन के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद शहर में फैली गंदगी और डंपिंग को लेकर जदयू नेता रवि उज्ज्वल कुशवाहा ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने नगर परिषद और संबंधित एनजीओ के पिछले दो वर्षों के कार्यों की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
-- डुमरांव नगर परिषद पर कचरा घोटाले का साया, दो साल के कार्यों की जांच की उठी मांग, 11 करोड़ 4 लाख की कचरा डंपिंग राशि पर जदयू नेता ने उठाया सवाल
केटी न्यूज/डुमरांव
डुमरांव नगर परिषद की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। कचरा प्रबंधन के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद शहर में फैली गंदगी और डंपिंग को लेकर जदयू नेता रवि उज्ज्वल कुशवाहा ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने नगर परिषद और संबंधित एनजीओ के पिछले दो वर्षों के कार्यों की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।रवि उज्ज्वल कुशवाहा ने कहा कि नगर परिषद द्वारा वर्षों से कचरा डंपिंग के नाम पर हर साल लगभग 11 करोड़ 4 लाख रुपये एनजीओ को दिए जा रहे हैं, लेकिन यह राशि वास्तव में कहां और कैसे खर्च हुई, इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।

उन्होंने सवाल उठाया कि जब नगर परिषद के पास खुद की जमीन ही नहीं थी, तो इतने वर्षों तक शहर का कचरा आखिर कहां डंप किया जाता रहा।उन्होंने कहा कि जैसे ही कचरा डंपिंग को लेकर सवाल उठाए गए, अचानक रविवार जैसे अवकाश के दिन भी सफाई कार्य शुरू हो गया। अब आनन-फानन में बैठक कर 5 एकड़ भूमि लीज पर लेने का फरमान जारी किया जा रहा है। यह साफ संकेत है कि अब तक सब कुछ कागजों में ही चलता रहा और जनता को गुमराह किया गया।

रवि उज्ज्वल ने आरोप लगाया कि नगर परिषद के पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि जनता को जवाब देने से बच रहे हैं। शहरवासियों को यह बताया जाना चाहिए कि अब तक डंपिंग स्थल कहां था, वहां कचरा डाला गया या सिर्फ बिल बनाकर भुगतान किया गया। अगर वास्तव में डंपिंग होती रही है तो उसके दस्तावेज, फोटो और स्थल की जानकारी सार्वजनिक की जाए।उन्होंने यह भी कहा कि केवल नगर परिषद ही नहीं, बल्कि कचरा उठाव और डंपिंग से जुड़े एनजीओ की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

पिछले दो वर्षों में किए गए कार्यों, भुगतान, वाहन संचालन, मजदूरों की संख्या और वास्तविक कार्यस्थल की स्वतंत्र एजेंसी से जांच होनी चाहिए।जदयू नेता ने चेतावनी दी कि यदि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला सड़क से सदन तक उठाया जाएगा। डुमरांव की जनता अब जवाब चाहती है, न कि कागजी योजनाएं और बाद में लिए गए फैसले।नगर परिषद की चुप्पी और सवालों से बचने की कोशिश ने संदेह को और गहरा कर दिया है। अब देखना यह है कि प्रशासन पारदर्शिता दिखाता है या कचरा डंपिंग का यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाता है।
