शहीद चितरंजन के पुत्र ने पिता के नाम पर फर्जी संस्था बना उगाही का लगाया आरोप

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों की बाकी यहीं निशा होगी..., जगदंबा प्रसाद मिश्र की ये पंक्तियां आज भी शहीदों के सम्मान में पढ़ी जाती है, लेकिन इससे उलट अनुमंडल के वीर जांबाज व कारगिल युद्ध में पाक परस्त आतंकियों को धूल चटाने वाले चिलहरी के लाल शहीद चितरंजन के नाम पर मेला ( कार्यक्रम ) भी धन उगाही के लिए आयोजित किया जाता रहा है। ऐसा उसके पुत्र दिलीप कुमार ने आरोप लगाया है।

शहीद चितरंजन के पुत्र ने पिता के नाम पर फर्जी संस्था बना उगाही का लगाया आरोप

- पुत्र के पास आया है अंकेक्षण रिपोर्ट व विदेशी फंडिंग का हिसाब देने का पत्र

- शहीद चितरंजन स्मृति संस्थान के बैनर तले हर साल दी जाती है श्रद्धांजलि

केटी न्यूज/डुमरांव  

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों की बाकी यहीं निशा होगी..., जगदंबा प्रसाद मिश्र की ये पंक्तियां आज भी शहीदों के सम्मान में पढ़ी जाती है, लेकिन इससे उलट अनुमंडल के वीर जांबाज व कारगिल युद्ध में पाक परस्त आतंकियों को धूल चटाने वाले चिलहरी के लाल शहीद चितरंजन के नाम पर मेला ( कार्यक्रम ) भी धन उगाही के लिए आयोजित किया जाता रहा है। ऐसा उसके पुत्र दिलीप कुमार ने आरोप लगाया है।

दिलीप का आरोप है कि शहीद चितरंजन के नाम पर फर्जी संस्था बना धन उगाही हो रही थी। उन्होंने कहा कि जब मेरे पास बिहार के उप निबंधक महानिरीक्षक कार्यालय, पटना द्वारा निबंधित डाक से पत्र भेज शहीद चितरंजन स्मृति संस्थान, चिलहरी से पिछले पांच वर्षों की अंकेक्षण रिपोर्ट और विदेशी अंशदान का ब्योरा मांगा गया, तब मुझे इस बात की जानकारी हुई कि मेरे शहीद पिता के नाम पर फर्जी संस्था बना धन उगाही की जा रही है। दिलीप ने बताया है कि उन्हें इस संस्था के बारे में जानकारी ही नहीं थी। 

रजिस्ट्री मिलते ही उनके पुत्र का माथा चकरा गया, क्योंकि उन्हें अपने पिता के नाम पर संस्था खोले जाने की जानकारी तक नहीं थी। इस मामले के उजागर होने के बाद पूरे इलाके में चर्चाओं का बाजार तेज हो गया है।वहीं, उनके पुत्र ने अपने शहीद पिता के नाम पर बने इस संस्थान को फर्जी बताते हुए कहा कि कुछ लोग उनके पिता के नाम पर धन उगाही कर उनकी वीरता भरी शहादत को अपमानित कर रहे हैं।

आतंकियों से मुठभेड़ में हुए थे शहीद 

बता दें कि शहीद चितरंजन 20 अगस्त 2001 को कारगिल युद्ध समाप्त होने के बाद जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा के जंगल में सर्च ऑपरेशन चला रहे थे। इसी दौरान उनकी मुठभेड़ आतंकियों से हो गई थी। वे तीन आतंकियों को अकेले ही मार गिराए थे, इसी पीछे छिपे एक आतंकी ने अचानक उनपर हमला कर दिया, जिससे वे वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनकी स्मृति में हर वर्ष पैतृक गांव चिलहरी गांव में शहीद चितरंजन स्मृति संस्थान के बैनर तले श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

संस्थान के सचिव भगवान राय ने उनके पुत्र के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि संस्था का विधिवत निबंधन कराया गया है, लेकिन इसका कोई बैंक खाता तक नहीं खुला है और न ही किसी से धन लिया गया है। उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित साजिश करार दिया। बहरहाल, मामले की जांच के बाद ही इस बात का खुलासा हो सकेगा कि शहीद के नाम पर फर्जी संस्थान बना कौन धन उगाही का खेल खेल रहा है।

इस विवाद के सामने आने के बाद पूरे क्षेत्र में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। वहीं, उनके पुत्र ने कहा कि वे जल्दी ही इस मामले में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगेगे तथा बाद में कानूनी कार्रवाई करेंगे।