विश्व मानवाधिकार दिवस पर बक्सर में न्यायिक पदाधिकारियों का कैंडल मार्च, रैली के माध्यम से फैलाई गई जागरूकता

विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर बुधवार को बक्सर में विभिन्न न्यायिक पदाधिकारियों, अधिवक्ताओं तथा न्यायिक कर्मियों ने कैंडल मार्च निकालकर मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता का संदेश दिया। बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, पटना के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बक्सर द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। मार्च व्यवहार न्यायालय परिसर स्थित भवन—विधिक सेवा सदन से प्रारंभ होकर चीनी मिल रोड, स्टेशन रोड होते हुए अंबेडकर चौक तक पहुंचा।

विश्व मानवाधिकार दिवस पर बक्सर में न्यायिक पदाधिकारियों का कैंडल मार्च, रैली के माध्यम से फैलाई गई जागरूकता

__ व्यवहार न्यायालय से अम्बेडकर चौक तक निकला शांतिपूर्ण मार्च, जेलों में भी आयोजित हुआ विधिक जागरूकता कार्यक्रम

केटी न्यूज/बक्सर।

विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर बुधवार को बक्सर में विभिन्न न्यायिक पदाधिकारियों, अधिवक्ताओं तथा न्यायिक कर्मियों ने कैंडल मार्च निकालकर मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता का संदेश दिया। बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, पटना के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बक्सर द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। मार्च व्यवहार न्यायालय परिसर स्थित भवन—विधिक सेवा सदन से प्रारंभ होकर चीनी मिल रोड, स्टेशन रोड होते हुए अंबेडकर चौक तक पहुंचा।

मार्च की अगुवाई कर रहे हर्षित सिंह, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बक्सर ने इस वर्ष की थीम “हमारी रोजमर्रा की अनिवार्यताएं” का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि यह थीम इस बात पर चिंतन का आह्वान करती है कि मानवाधिकार केवल सिद्धांत नहीं बल्कि हर नागरिक के दैनिक जीवन से जुड़े मूल तत्व हैं। ये अधिकार किसी भी तरह की नफरत, गलत सूचना और झूठ के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों के लिए वैश्विक जागरूकता और सक्रियता को पुनर्जीवित करने की जरूरत पर बल दिया है।

मानवाधिकार दिवस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इसकी औपचारिक स्थापना वर्ष 1950 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (यूडीएचआर) अपनाई गई थी, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर मानव गरिमा की रक्षा और अत्याचारों की पुनरावृत्ति रोकना था। तभी से हर वर्ष यह दिन भेदभाव, असमानता और उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष को याद करने तथा समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।

इसी क्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा मुक्त कारागार बक्सर और केंद्रीय कारा मंडल बक्सर में भी विधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। केंद्रीय कारा में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अवर न्यायाधीश-सह-सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बक्सर नेहा दयाल ने मानवाधिकार दिवस की स्थापना, उद्देश्य और वैश्विक महत्व पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बंदियों को बताया कि मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा संयुक्त राष्ट्र की पहली ऐतिहासिक उपलब्धियों में से एक है, जिसका उद्देश्य हर व्यक्ति को न्याय, स्वतंत्रता और समानता सुनिश्चित करना है।

उन्होंने कहा कि 4 दिसंबर 1950 को महासभा की 317वीं बैठक में प्रस्ताव 423 (V) पारित कर सदस्य देशों, संस्थाओं और संगठनों को इस दिवस को मनाने के लिए आमंत्रित किया गया था। आज मानवाधिकार दिवस उच्च स्तरीय सम्मेलन, सांस्कृतिक आयोजन, प्रदर्शनियों और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है। इसी अवसर पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार पुरस्कार और नोबेल शांति पुरस्कार भी दिए जाते हैं।

बक्सर में निकाले गए कैंडल मार्च में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से जुड़े अनेक न्यायिक पदाधिकारी, अधिवक्ता और अन्य कर्मियों ने भाग लिया। प्रमुख उपस्थितियों में प्रधान न्यायाधीश—कुटुंब न्यायालय मनोज कुमार द्वितीय, जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश मनीष कुमार शुक्ला, सुदेश कुमार श्रीवास्तव, संजीत कुमार सिंह, अपर न्यायिक दंडाधिकारी भोला सिंह, व्यवहार न्यायालय प्रभारी प्रशासन राजीव श्रीवास्तव, वरीय लिपिक संजय कुमार, नाजिर संतोष द्विवेदी समेत अनेक न्यायालय कर्मचारी शामिल थे।

इसके अलावा जिला अधिवक्ता संघ के सदस्य, पैनल अधिवक्ता, विधि सेवक, स्थानीय नागरिक तथा स्कूली बच्चों ने भी रैली में भाग लेकर मानवाधिकारों के समर्थन में एकजुटता दिखाई।कैंडल मार्च के माध्यम से न्यायिक प्राधिकार ने जनता को यह संदेश दिया कि मानवाधिकार केवल कानूनी दस्तावेज नहीं बल्कि जीवन के आवश्यक आधार हैं, जिनकी रक्षा एवं सम्मान हर व्यक्ति और समाज की जिम्मेदारी है।