कलम की लौ बुझी, नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार अशोक ओझा, पत्रकारिता परिवार शोकाकुल
बक्सर की पत्रकारिता जगत ने शनिवार की रात अपना एक उज्ज्वल सितारा खो दिया। वरिष्ठ पत्रकार अशोक ओझा (45 वर्ष) के असामयिक निधन की खबर जैसे ही सामने आई, पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई। आमतौर पर ख़बरें लिखने वाले अशोक खुद अचानक ख़बर बन जाएंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था।

केटी न्यूज/बक्सर
बक्सर की पत्रकारिता जगत ने शनिवार की रात अपना एक उज्ज्वल सितारा खो दिया। वरिष्ठ पत्रकार अशोक ओझा (45 वर्ष) के असामयिक निधन की खबर जैसे ही सामने आई, पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई। आमतौर पर ख़बरें लिखने वाले अशोक खुद अचानक ख़बर बन जाएंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था।
ब्रह्मपुर प्रखंड के देवकुली गांव से निकले अशोक ओझा ने पत्रकारिता को सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम माना। पिछले दो दशकों से अधिक समय तक उन्होंने बक्सर की समस्याओं, संघर्षों और उम्मीदों को कलम से आवाज़ दी। उनकी रिपोर्टिंग ने न सिर्फ आमजन की भावनाओं को जगह दी, बल्कि प्रशासन को भी बार-बार आईना दिखाने का काम किया। निष्पक्षता और जनपक्षधरता उनकी पहचान थी।
शनिवार की रात वह हमेशा की तरह दफ्तर से लौटे थे। लेकिन अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने पर सड़क पर गिर पड़े। लोगों ने उन्हें क्लिनिक और फिर सदर अस्पताल पहुँचाया, मगर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस खबर ने जिले के पत्रकार समुदाय को स्तब्ध कर दिया।
श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के जिलाध्यक्ष डॉ. शशांक शेखर ने कहा कि “अशोक ओझा का जाना पत्रकारिता की दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी कलम हमेशा जनता के लिए चलती रही।”
पत्रकारिता जगत के साथी और शहर के गणमान्य नागरिक इस क्षति को व्यक्तिगत हानि मान रहे हैं। हर कोई यही कह रहा है कि अशोक ओझा ने अपने पीछे संवेदनशील और जनपक्षधर पत्रकारिता की विरासत छोड़ी है।
उनके असामयिक निधन पर पत्रकारों ने शोक जताया है। शोक व्यक्त करने वालों में शुभनारायण पाठक, रविशंकर श्रीवास्तव, अरविंद कुमार चौबे, चंद्रकांत निराला समेत दर्जनों पत्रकार शामिल हैं।
ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति और शोकग्रस्त परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति मिले।