बक्सर में शोभा देवी के भागीरथ प्रयासों ने बदला माहौल, जनांदोलन में तब्दील हुआ कार्यक्रम
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर द्वारा शुरू किया गया परिवार लाभ कार्ड अभियान अब केवल एक योजना नहीं रहा, बल्कि ग्रामीण जनजीवन का हिस्सा बनता जा रहा है। बक्सर विधानसभा क्षेत्र में इस अभियान की अगुवाई कर रही भावी प्रत्याशी शोभा देवी ने इसे एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।

-- गांव-गांव में गूंजा परिवार लाभ कार्ड अभियान, पारंपरिक राजनीति से अलग है शोभा देवी का अंदाज व कार्यशैली
केटी न्यूज/बक्सर
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर द्वारा शुरू किया गया परिवार लाभ कार्ड अभियान अब केवल एक योजना नहीं रहा, बल्कि ग्रामीण जनजीवन का हिस्सा बनता जा रहा है। बक्सर विधानसभा क्षेत्र में इस अभियान की अगुवाई कर रही भावी प्रत्याशी शोभा देवी ने इसे एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।
शोभा देवी का अंदाज़ और कार्यशैली पारंपरिक राजनीति से बिल्कुल अलग है। वह मंचों और बड़े आयोजनों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि खुद गांव-गांव, गली-गली और घर-घर पहुंच रही हैं। दरवाजे खटखटाकर लोगों से संवाद करना, उन्हें परिवार लाभ कार्ड के फायदे समझाना और तुरंत कार्ड बनवाने में सहयोग करना, ये सब उनकी रोजमर्रा की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। यही वजह है कि ग्रामीणों में उन्हें लेकर विशेष उत्साह और भरोसा पैदा हुआ है।
ग्रामीणों का कहना है कि “नेताओं को चुनाव के समय तो आते देखा, लेकिन सेवाभाव और जुड़ाव के साथ ऐसे प्रयास पहले कभी नहीं दिखे।” यही भावनात्मक रिश्ता शोभा देवी को आम लोगों के बीच अलग पहचान दिला रहा है। चौपालों पर बैठे बुजुर्ग हों या खेतों से लौटती महिलाएं हर जगह उनकी मेहनत की चर्चा हो रही है।
इस अभियान के असर से गांवों का नजारा भी बदल गया है। लोग अब खुद आगे आकर परिवार लाभ कार्ड बनवाने में रुचि दिखा रहे हैं। कतारों में खड़े लोग सिर्फ कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं कर रहे, बल्कि इस आंदोलन को अपना समर्थन भी दे रहे हैं। विशेष बात यह है कि परिवार लाभ कार्ड सिर्फ एक पहचान-पत्र नहीं, बल्कि ग्रामीण परिवारों की आवश्यकताओं और योजनाओं को जोड़ने वाला साधन माना जा रहा है।
यही कारण है कि लोग इसे अपने भविष्य से जोड़कर देख रहे हैं। राजनीतिक हलकों में भी इस अभियान की खूब चर्चा हो रही है। जानकार मानते हैं कि जिस तरह शोभा देवी ने इसे गांव-गांव की आवाज बना दिया है, उससे न केवल जन सुराज की पकड़ मजबूत हुई है, बल्कि ग्रामीण राजनीति का स्वरूप भी बदलता नजर आ रहा है।
दरअसल, यह अभियान अब एक सरकारी योजना या संगठनात्मक पहल से आगे बढ़कर जनांदोलन का रूप ले चुका है। बक्सर की गलियों में उठ रही आवाज़ साफ कहती है कि जनता अब बदलाव चाहती है और इस बदलाव की बागडोर फिलहाल शोभा देवी के हाथों में दिखाई दे रही है।