वाह रे सरकार : जहां शराबबंदी वहां मुआवजा कैसा! : कवि पूर्णानंद
जय हो सरकार
केटी न्यूज/ बक्सर
बिहार सरकार ने जहरीली शराब पीकर मरने वालों के आश्रितों को चार लाख रूपए मुआवजा देने का ऐलान किया है। कवि व शिक्षक पूर्णानंद मिश्र ने अपनी कविता के माध्यम से सरकार के इस फैसले पर कटाक्ष किया है। उन्होंने अपनी कविता को केशव टाइम्स के साथ साझा किया है। पेश है उनकी कविता......
जहां शराबबंदी वहां मुआवजा कैसा ? आप भी मान लिये क्या?
शराबबंदी पर लागू आज,
नया एक विधान हुआ।
जहरीली पी के मरने पर
चार लाख का प्रावधान हुआ।
कैबिनेट में चच्चा ने
प्रस्ताव यह पास किया,
दारू पी कर मरने पर,
इंतजाम यह खास किया।
सौ दो सौ दिहाडी, जो
दिनभर में कमाता है,
मुश्किल से परिवार का जो
पेट भर पाता है।
उनके लिए चार लाख का
रास्ता अब साफ है,
पी कर मरना बिहार में
अब नहीं अभिशाप है।
कहता है कौन? शराबबंदी
यहां फेल है,
देशी पर मुआवजा, और
विदेशी पर जेल है।
चच्चा भतीजा का,
जहां सरकार है,
वहां कैसे हो सकता?
दारू का व्यपार है।
अलग थलग पड गए,
अब मामा और भांजा है,
गली गली हेरोईन है,
अफीम और गांजा है।
कभी कभी गलती से
कुछ लोग भटक जाते है,
जहां थाने में चूहे भी,
शराब गटक जाते है।
शराबबंदी की राह में
बड़ा व्यवधान है,
सोच समझ कर किया अब
मुआवजे का प्रावधान है।
मुआवजे का रकम सीधे
खाता में जाएगा,
बेटा अब बाबूजी का
फफेली दबाएगा।
मुंह में गंगाजल नहीं,
देशी शराब होगा,
तेरहवीं से पहले ही,
चार लाख का हिसाब होगा।
चच्चा हमारे बहुत
नेकदिल और साफ है,
पियक्कड़ों के साथ अब
किया इंसाफ है।
ऐसा ही कानून और
ऐसा ही कायदा हो
दारू पीओ ऐसे कि,
मरने पर भी फायदा हो
कहता है पूर्णानंद फिर से
बिहार में बहार है,
मस्ती के मौत में भी,
चार लाख तैयार है।
पूर्णानंद